आज हम बात करेंगे बाबा रामदेव जी के अवतार की, अनेक ऐसी कथाओं में आपने सुना होगा कि बाबा रामदेव जी के पिता का नाम राजा अजमल जी हैं और उनके घर पर रामदेव जी ने अवतार लिया था,
लेकिन हमने भी इतिहास की किताबों , ग्रन्थों और जानकारों से सहायता ली, तो,
एक अलग ही कहानी नजर आती हैं, जो, काफी हद तक सही भी मानी जा सकती हैं,
राजस्थान में मेघवंशी समाज के लोग तो बोलते हैं कि बाबा रामदेव जी हमारी समाज से ही थे,
और उनके इस कथन को सही करते हुए अन्य समाज में भी एक कहावत काफी प्रचलित हैं
" रामदेव जी ने जो मिले, वो ढेढ़ ही"
इसका अर्थ है कि बाबा रामदेव जी को ढेड (मेघवंशी, मेगवाल) ही मिले थे, क्यूंकि उनका जम्मा (भजन कीर्तन) देना भी मेघवाल का अधिकार है, उनको मारवाड़ी भाषा में रिखिया बोलते है,
दूसरा और सबसे बड़ा कारण हैं कि बाबा रामदेव जी का जन्म भी इसी मेघवाल समाज में एक रीखिया शायर के घर हुआ था ।
लेकिन इस बात को कम लोग ही मानते है,
कहते हैं कि शायर के घर बाबा के अवतार लेते ही घर में रखे हुए सारे जल पात्र दुध से भर गए, मंदिर के यन्त्र स्वर करने लगे, आधी रात को भी रोशनी से घर में उजाला हो गया, शायर और उनकी पत्नी भयभीत हो गए, शायर अपने राजा अजमल जी के पास गया, सारा घटनाक्रम बताया,
तो अजमल जी भगवान के संकेत समझ गए,
भगवान ने अजमल जी को बताया था कि मैं आऊंगा उस वक्त यह हलचल होगी,
अजमल जी ने शायर को कहा कि आप अपने बच्चे को हमारे महल में पालने में विरमदेव के साथ सुला दो और किसी को इसकी खबर ना हो,
यह बात आपके और मेरे बीच ही रहनी चाहिए,
शायर ने वेशा ही किया जैसा, द्वापर युग में वासुदेव जी ने श्री कृष्ण जी को नंद जी के घर पहुंचाया था,
इस बात की पुष्टि तोमर वंश के ही एक लेखक ने अपनी किताब "रामदेव पुराण" में भी की हैं।
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