मानव जन्म अनमोल हैं.!
सुनने मे आता हैं, देवता भी तरसते हैं मानव जन्म पाने के लिये, लेकिन मानव जन्म पा सुका जीव क्यों जानवर बन रहा हैं ?
कोई अपराध का रास्ता चुन लेता हैं तो कोई अमीरी का, कोई चोरी का तो कोई जारी (दुस्कर्म) का, कोई आलस मे हैं तो कोई उदास हैं और कोई डर रहा हैं तो कोई डरा रहा हैं..!
आखिर क्या चाहता हैं मानव ?
अरे जब अनमोल जीवन पा लिया तो कुछ अच्छा कर्म तो कर लो..!
श्मशान के रास्ता खाली हाथ जाना हैं
माया परिवार दौलत सब पराई हो जायेगी, कुछ नाम तो कमा लो, प्रख्यात होना हैं तुमको कुख्यात नही.!
हमेशा जिन्दा रहने वाले को अमर नही कहते हैं, जोलोगों के दिलों मे जगह बनाकर चला जाता हैं उसे अमर कहते हैं.!
कुछ लोग तो बाबा के पास जाकर बोलते हैं बाबा मुझे अमर मंत्र दे दो. बाबा खुद श्मशान से दो कदम ही दूर बैठा हैं. वो क्या अमरता देगा रे भाई.!
हे मानव ! तुम हंसों दूसरो को हँसाओ, यही जीवन का सबसे बडा मंत्र हैं, यही अमर मंत्र हैं.!
जरा दुबारा समझ लो, इसके सिवाय और कोई जीवन मंत्र नही हैं.!
खुद हँसो औरों को हँसाओ.!
मेरा अर्थ किसी को गुदगुदी करके हँसाना नही हैं. वो क्यों नही हँस रहा हैं? दुख किस बात का हैं?
उसका निवारण करने मे मदद करों. फिर हँसे तो आपका हँसाना सही हैं.!