घर बैठजा , गली बाजार में मत घूम,
मुख देखणो वे थारे संसार रो तो सुन,
तो मुख माथै पाटो क्यूं नी डालै हैं ।
मारवाड़ में मौत रो सीजन हालै हैं।
दवायां की कमी आई, दवाखाना पड़ा भरिया,
थोडो डर भी राख ,बारे 'मरी' पड़े हैं, घणा मरिया,
कोरोना कठै हैं युं कहतो क्युं चालै हैं।
मारवाड़ में मौत रो सीजन हालै हैं।
अशोक अर काकी दोनों ने होगयो, गहलो भाई,
जीवता रेया तो मौका ब्याह, नितर राम रघुराई,
शादी फंक्शन कर कर, क्यूं इणने घर में घालै हैं।
मारवाड़ में मौत रो सीजन हालै हैं।
पोलिस आळा चालान काटे, ओर मारे लठ,
टाबर ने समझावै ज्युं केवै, पर थे पकड़ी है हठ,
अजु तक होयो कोनी, तो थारे राम रुखाळै हैं।
मारवाड़ में मौत रो सीजन हालै हैं।
थारे मौत सुं सरकार रे तो , खाली आंकड़े बढसी,
पण थारै टाबरां और परिवार री उम्र दोरी कटसी,
केवै सुथार देवलो, तुं झूठौ वहम पालै हैं।
मारवाड़ में मौत रो सीजन हालै हैं।
तो मुख माथै मास्क क्यूं नी डालै हैं।
मारवाड़ में मौत रो सीजन हालै हैं।।
प्रस्तुति :- देवा सुथार बाण्ड