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शुक्रवार, फ़रवरी 28, 2025

Holi colours Festival होली का त्यौहार

होली हिन्दू धर्म में रंगों का एक शानदार त्योहार है, जो हर साल फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इसे पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
भक्त प्रहलाद और होलिका की होली के त्योहार से जुड़ी एक पौराणिक कथा है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है।
प्राचीन समय में हिरण्यकशिपु नाम का एक बड़ा अहंकारी दानव राजा था। उसने भगवान श्री विष्णु से अपना बदला लेने के लिए ब्रह्मा जी का कठोर तप किया और ब्रह्मा जी से वरदान प्राप्त किया कि उसे न कोई मनुष्य मार सकता है, न कोई देवता, न दिन में, न रात में, न अंदर, न बाहर, न किसी अस्त्र से, न शस्त्र से, और न ही आकाश में और न ही पृथ्वी पर। इस वरदान के कारण वह अजेय हो गया और बाद में खुद को भगवान मानने लगा।

प्रहलाद की भक्ति
हिरण्यकशिपु का अपना पुत्र प्रहलाद बचपन से ही प्रभु श्री विष्णु का परम भक्त था। उसने अपने पिता की आज्ञा के विरुद्ध जाकर श्री विष्णु जी की भक्ति की ,
और यह बात हिरण्यकशिपु को बिलकुल सहन नहीं हुई। उसने भक्त प्रहलाद को अनेकों बार मारने की निष्फल कोशिश की, लेकिन हर बार भगवान श्री विष्णु जी ने उसे बचा लिया।

होलिका दहन
अंत में थक हार कर, हिरण्यकशिपु ने अपनी बहन होलिका को प्रहलाद को मारने का आदेश दिया। होलिका को भी यह वरदान था कि वह अग्नि में जल नहीं सकती, जब तक कोई पुरुष का स्पर्श नहीं होता हैं। वह  भक्त प्रहलाद को लेकर आग में बैठ गई, लेकिन भगवान श्री विष्णु की कृपा से होलिका जलकर राख हो गई और  भक्त प्रहलाद सुरक्षित बच गए।

होली का महत्व

यह घटना बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, और इसीलिए हर साल होली से पहले होलिका दहन किया जाता है। इस दिन लोग लकड़ियों और उपलों से होलिका जलाकर अपनी बुरी आदतों और नकारात्मकता को खत्म करने का संकल्प लेते हैं।
होली के अगले दिन लोग रंग, गुलाल और पानी से एक-दूसरे को रंगते हैं, मिठाइयाँ बाँटते हैं और त्योहार का खूब आनंद लेते हैं।
ढोल, गानों और डांस के साथ होली का जश्न और भी मज़ेदार बन जाता है ।
राजस्थान में संग बजाकर फाल्गुन के गीत गाया जाता हैं।
गैर नृत्य किया जाता हैं।
 इस दिन विशेष रूप से भांग से बने पेय और गुझिया जैसी मिठाइयाँ बहुत लोकप्रिय होती हैं।
हमारी अगली पोस्ट पढ़ते हुए आगे बढ़ सकते हैं।

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