"भविष्य मलिका" आज से 600 साल प्राचीन भविष्यवाणी ग्रंथ है, जिसे एक उड़िया संत अच्युतानंद दास द्वारा लिखा गया है। यह ग्रंथ ओडिशा की पंचसखा परंपरा के अनुसार पांच संतों ने लिखा है और इसमें आने वाले समय के बारे में कई भविष्यवाणियाँ दर्ज हैं।
ग्रंथ की मुख्य बातें
अच्युतानंद दास, जो 16वीं शताब्दी के ओडिशा के संत थे।
भविष्य की घटनाएँ, समाज में होने वाले बदलाव, प्राकृतिक आपदाएँ, और कलियुग के अंत का वर्णन भी किया गया हैं।
यह ग्रंथ गूढ़ भाषा में इस लिखा गया है कि,
आम लोगों के लिए समझना कठिन होता है।
कलियुग में धर्म का पतन होगा।
प्राकृतिक आपदाएँ, युद्ध, और महामारियाँ आएंगी।
एक बड़े परिवर्तन के बाद सत्ययुग की वापसी होगी।
"भविष्य मलिका" में कई भविष्यवाणियाँ दर्ज हैं, जिनमें से कुछ को लोग वर्तमान समय से जोड़ते हैं। जैसे
कलियुग का अंत
इसमें लिखा गया हैं कि,
जब गाय दूध देना बंद कर देगी, बेटा पिता का सम्मान नहीं करेगा, और लोग पाप को धर्म मान लेंगे, तब कलियुग का अंत पास ही होगा।
आधुनिक समय में नैतिक पतन, पारिवारिक कलह, और पर्यावरण असंतुलन को इससे जोड़ कर भी देखा जा रहा हैं।
प्राकृतिक आपदाएँ और महामारियाँ जो घटित हुई हैं या आने वाली हैं,
"धरा काँपे, जल उठे, मेघ गर्जे बिन बरसे" – यानी धरती भूकंप से कंपेगी, पानी बढ़ जाएगा, और बिना बरसात के ही बादल गरजेंगे।
इसे ग्लोबल वार्मिंग, सुनामी, और जलवायु परिवर्तन से जोड़ कर बताया जा रहा हैं।
कोरोना वायरस के बारे में भी भविष्यवाणी भी की गई थी, कहा गया कि "एक अदृश्य शक्ति लोगों को ग्रसित करेगी और सभी लोग अपने घरों में बंद हो जाएंगे।"
एक महायुद्ध की भविष्यवाणी
ग्रंथ में कहा गया कि पूरी दुनिया में एक विश्व युद्ध होगा जिसमें कई देश शामिल होंगे , जिनके नाम भी बताए गए हैं और बहुत विध्वंस होगा।
इसे कई जानकार भविष्य के तृतीय विश्व युद्ध या परमाणु युद्ध से जोड़ते हैं।
भारत में एक महान नेता या संत का अवतार
मलिका में यह भी उल्लेख मिलता है कि भारत में एक ऐसा महान व्यक्ति सता में आएगा जो देश को पुनः शक्तिशाली बनाएगा और धर्म की स्थापना करेगा।
इसे लोग कई ऐतिहासिक और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़ते हैं।
सत्ययुग की वापसी
कलियुग के अंत में एक बड़ा परिवर्तन होगा, जिसके बाद से सत्ययुग का आरंभ हो जाएगा।
इस दौरान सच्चाई और धार्मिकता का पुनः उत्थान होगा।
भविष्य मलिका में विश्व युद्ध की भविष्यवाणी
अच्युतानंद दास द्वारा लिखित "भविष्य मलिका" में कई जगहों पर एक महायुद्ध (विश्व युद्ध) का उल्लेख मिलता है, जो अत्यधिक विनाशकारी होगा। इसे आज के समय में तीसरे विश्व युद्ध की भविष्यवाणी से जोड़ा जाता है।
महायुद्ध से जुड़ी प्रमुख भविष्यवाणियाँ
पहली भविष्यवाणी
तीन ओर से युद्ध होगा
"तीन डांगा एक होई मारिबे महा गड़बड़ी होई"
(तीन शक्तियाँ मिलकर एक बड़ी तबाही मचाएंगी)
यह भविष्यवाणी कई लोग अमेरिका, रूस और चीन के संभावित युद्ध से जोड़ते हैं।
दूसरी भविष्य वाणी
परमाणु युद्ध और भारी विनाश
"अग्नि बृष्टि होई, धरा जलिबो, मानुष माटि समान होईबो।"
(आग की बारिश होगी, धरती जल उठेगी, और मनुष्य मिट्टी के समान नष्ट हो जाएगा।)
इसे लोग परमाणु युद्ध के खतरों से जोड़ते हैं, जिससे पूरी दुनिया पर असर पड़ सकता है।
तिसरी भविष्य वाणी
भारत का विशेष महत्व
"भारत भूमि बांचे, धर्म रक्षा होई"
(भारत बचा रहेगा और धर्म की रक्षा होगी)
यह संकेत करता है कि भारत किसी बड़े विनाश से बच सकता है और अंततः धर्म की पुनर्स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
चौथी भविष्य वाणी
युद्ध के बाद नया युग आएगा
"सत्ययुग पुनः आसीबो, कलि समाप्त होइबो।"
(एक नए युग की शुरुआत होगी और कलियुग का अंत होगा।)
इसका मतलब है कि यह विनाश एक नए अध्याय की शुरुआत करेगा, जहाँ सच्चाई और धार्मिकता पुनः स्थापित होगी।
क्या यह भविष्यवाणी सच हो सकती है?
वर्तमान में रूस-यूक्रेन युद्ध, इजरायल-हमास संघर्ष, चीन-ताइवान तनाव जैसी घटनाएँ हो रही हैं।
परमाणु हथियारों का खतरा बढ़ रहा है।
कई लोग मानते हैं कि तीसरा विश्व युद्ध किसी भी समय भड़क सकता है, और यह भविष्यवाणी इससे जुड़ी हो सकती है।
आप क्या सोचते हैं? क्या यह भविष्यवाणी हमारे समय के लिए प्रासंगिक लगती है?
हमें कमेंट बॉक्स में लिख कर भेजें।