दोस्तों आप जानेंगे कि इस कहानी में हम जूनागढ़ के एक भक्त की जीवन यात्रा,
संत नरसी मेहता गुजरात के महान भक्त कवि और संत थे,
उनका जन्म 15वीं शताब्दी में गुजरात के तलाजा या जूनागढ़ में हुआ था।
नरसी मेहता भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे, और उनका जीवन कृष्ण भक्ति, प्रेम, करुणा और समाज सुधार की प्रेरणा से परिपूर्ण था।
उनकी रचनाओं में भक्ति और प्रेम के सुंदर भाव व्यक्त होते हैं। उनके गीत और भजन सामाजिक समानता और मानवता के आदर्शों को दर्शाते हैं।
"वैष्णव जन तो तेने कहिए" गीत में उन्होंने यह संदेश दिया कि सच्चा वैष्णव वही है जो दूसरों के दुःख को महसूस करता है, बिना अभिमान के सेवा करता है, और हमेशा सत्य व करुणा के मार्ग पर चलता है।
संत नरसी मेहता का जीवन कई चमत्कारी घटनाओं से भी जुड़ा हुआ माना जाता है, जिनमें भगवान कृष्ण की उनकी भक्ति के कारण उन पर कृपा की अनेक कहानियाँ प्रसिद्ध हैं।
नरसी मेहता की कृष्ण भक्ति गहरी और समर्पण से परिपूर्ण थी।
उन्होंने अपने जीवन में भगवान श्रीकृष्ण को अपने आराध्य देव के रूप में माना और उनके प्रति अपार प्रेम और विश्वास प्रकट किया।
उनकी भक्ति सरल, निष्कपट और पूर्ण समर्पण का प्रतीक थी, जो भक्तों के लिए आदर्श मानी जाती है। नरसी की कृष्ण भक्ति में कई पहलू देखने को मिलते हैं:
1. प्रेम और समर्पण की भक्ति
नरसी मेहता ने भगवान कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति में प्रेम और समर्पण का भाव प्रकट किया।
उनके भजन और रचनाएँ भगवान के प्रति गहरे प्रेम और निष्ठा से भरी हुई हैं।
वे मानते थे कि भगवान के प्रति प्रेम करना ही जीवन का सच्चा उद्देश्य है।
2. सुदामा चरित्र
नरसी मेहता की कृष्ण भक्ति में सुदामा चरित्र बहुत प्रसिद्ध है।
उनके भजनों में सुदामा की निर्धनता के बावजूद भगवान कृष्ण के प्रति उनकी भक्ति का वर्णन है, जो यह सिखाता है कि ईश्वर के प्रति भक्ति में धन-दौलत का कोई महत्व नहीं होता।
3. भगवान पर अटूट विश्वास
नरसी मेहता का जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था, लेकिन हर परिस्थिति में उन्होंने भगवान कृष्ण पर अटूट विश्वास रखा।
कई कथाएँ प्रचलित हैं कि जब वे किसी संकट में होते, तो भगवान कृष्ण उनकी सहायता करते।
इसका उदाहरण उनके जीवन की घटनाओं में देखा जा सकता है, जैसे "हर माला प्रकरण", जिसमें भगवान ने उनके जीवन को चमत्कारिक रूप से संकटों से बचाया।
4. वैष्णव जन का संदेश
"वैष्णव जन तो तेने कहिए" उनके सबसे प्रसिद्ध भजनों में से एक है, जिसमें नरसी ने सच्चे भक्त का वर्णन किया है। उन्होंने इस भजन के माध्यम से यह संदेश दिया कि सच्चा कृष्ण भक्त वही है जो दूसरों के दुख को समझे, अभिमान त्यागे, और हमेशा दूसरों की मदद करे।
5. रासलीला और बाल लीला
नरसी मेहता की रचनाओं में भगवान की बाल लीला और रासलीला का सुंदर वर्णन है।
उनके भजनों में भगवान के बाल रूप की भोली-भाली लीलाओं और गोपियों के साथ उनकी रासलीला का वर्णन बहुत ही सरल और मोहक ढंग से किया गया है, जिससे भक्तों का मन भगवान के प्रति जुड़ता है।
6. सामाजिक संदेश
नरसी की कृष्ण भक्ति में समाज सुधार की भावना भी समाहित थी।
उन्होंने जाति-भेद और सामाजिक असमानताओं का विरोध किया।
वे मानते थे कि हर व्यक्ति में भगवान का वास है, और भगवान का भक्त बनने के लिए समाज द्वारा बनाए गए भेदभाव को त्यागना आवश्यक है।
"नानी बाई का भात" एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा और लोककथा है जो संत नरसी मेहता और उनकी कृष्ण भक्ति से जुड़ी है।
इस कथा में भगवान कृष्ण की अपने भक्तों के प्रति अनन्य कृपा और प्रेम का वर्णन है। यह कथा विशेष रूप से राजस्थान और गुजरात में प्रसिद्ध है, जहाँ इसे भक्ति भाव से प्रस्तुत किया जाता है।
आइए जानते हैं इस कथा के मुख्य अंश:
कथा का सारांश
नरसी मेहता भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त थे, लेकिन वे आर्थिक रूप से बहुत गरीब थे।
एक दिन, उनकी बेटी नानी बाई का विवाह हो गया, और उसके ससुराल वालों ने विवाह के बाद उसे विदा कराने के लिए भात (भात संस्कार, जो लड़की के पिता द्वारा ससुराल में किया जाता है) करने की मांग की।
भात में लड़की के पिता को अपनी बेटी और उसके परिवार के लिए उपहार, भोजन और अन्य व्यवस्थाएँ करनी होती हैं।
हालाँकि, नरसी मेहता इतने गरीब थे कि उनके पास भात का आयोजन करने के लिए धन नहीं था।
उनके पास न तो धन था, न ही संसाधन, जिससे वे इस सामाजिक जिम्मेदारी को निभा सकें।
समाज के लोग उनका मजाक उड़ाने लगे और सोचने लगे कि वे अपनी बेटी के लिए भात का आयोजन नहीं कर पाएंगे।
भगवान कृष्ण की लीला
नरसी मेहता भगवान कृष्ण के समर्पित भक्त थे, और उन्होंने अपनी सारी चिंताओं को भगवान पर छोड़ दिया। उन्होंने भगवान कृष्ण से प्रार्थना की कि वे उनकी लाज बचाएँ।
भगवान कृष्ण ने अपने भक्त की प्रार्थना सुन ली और चमत्कारिक रूप से सुदामा का रूप धारण करके नानी बाई के ससुराल में पहुँच गए।
वहाँ उन्होंने स्वयं नरसी मेहता के नाम से भात की सभी व्यवस्थाएँ कीं।
भगवान ने सभी अतिथियों के लिए भोजन, आभूषण, कपड़े और अन्य उपहारों की इतनी सुंदर व्यवस्था की कि नानी बाई का ससुराल पक्ष चकित रह गया।
उन्होंने सोचा कि नरसी मेहता तो बहुत धनी व्यक्ति हैं।
कथा का संदेश
"नानी बाई का भात" कथा में भक्ति, प्रेम, और भगवान के प्रति अटूट विश्वास का संदेश है।
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति में शक्ति होती है, और यदि हमारी आस्था मजबूत हो, तो भगवान हमेशा हमारे साथ होते हैं।
जब भक्त भगवान पर संपूर्ण विश्वास करता है, तो भगवान भी अपने भक्त की हर तरह से सहायता करते हैं, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।
इस कथा का आयोजन भारत के कई हिस्सों में भक्ति संगीत और नाटकों के रूप में किया जाता है, जिससे भक्तों में भगवान के प्रति प्रेम और विश्वास बढ़ता है।
"नानी बाई का भात" आज भी भक्तों के बीच कृष्ण भक्ति का एक महान उदाहरण है।
निष्कर्ष
नरसी मेहता की कृष्ण भक्ति में प्रेम, समर्पण, विश्वास और करुणा का मिश्रण है।
उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण को अपना सखा, गुरु और आराध्य मानते हुए भक्ति की, और उनके भजनों ने लाखों लोगों को भक्ति और समाज में प्रेम और समानता का संदेश दिया।
उनकी कृष्ण भक्ति आज भी भक्तों के लिए प्रेरणादायी है।
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