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शनिवार, नवंबर 09, 2024

हनुमान चालीसा की रचना


 दोस्तों, हनुमान चालीसा तुलसीदास जी द्वारा रचित एक अत्यंत प्रसिद्ध भक्ति स्तोत्र है, जो भगवान हनुमान की स्तुति में लिखा गया है। यह अवधी भाषा में 40 चौपाइयों में है, इसीलिए इसे "चालीसा" कहा जाता है। इसमें हनुमान जी के चरित्र, गुणों, वीरता, शक्ति और उनकी भक्ति का वर्णन किया गया है। भक्तों के बीच यह अत्यंत लोकप्रिय है और इसे नियमित रूप से पाठ करने से भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त होती है।

हनुमान चालीसा की मुख्य विशेषताएँ:

शक्ति और साहस: हनुमान जी को "अंजनी पुत्र" और "पवनसुत" कहा गया है, और उनकी वीरता तथा बल का महिमामंडन किया गया है।

ज्ञान और बुद्धि: उन्हें ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक माना गया है, जो भक्तों को धैर्य और विवेक के साथ कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा देते हैं।

भक्ति और सेवा: हनुमान जी को श्रीराम के परम भक्त के रूप में दर्शाया गया है, जिन्होंने समर्पण और सेवा का सर्वोच्च उदाहरण प्रस्तुत किया।

संकट मोचक: यह भी माना जाता है कि हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्त के सारे संकट दूर होते हैं और उसे मानसिक और शारीरिक बल प्राप्त होता है।


हनुमान चालीसा का आरंभ इस दोहे से होता है:

"श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुर सुधारि।
बरनऊँ रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।"

हनुमान चालीसा के पाठ से व्यक्ति को साहस, बल, और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मन में आत्मविश्वास और शांति का विकास होता है, और भगवान हनुमान की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाओं का नाश होता है।
पूरा हनुमान चालीसा पढ़ने के लिए अगली पोस्ट में पढ़ें।

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