दोस्तों, कवितावली तुलसीदास जी द्वारा रचित एक महत्वपूर्ण काव्य रचना है, जिसमें भगवान श्रीराम के चरित्र, उनकी लीलाओं और गुणों का वर्णन किया गया है। इस रचना में तुलसीदास जी ने राम के प्रति अपनी गहरी भक्ति और आस्था को एक विशेष शैली में व्यक्त किया है। यह काव्य अवधी भाषा में लिखा गया है और इसमें कुल सात कांड हैं, जो रामचरितमानस के कांडों के समान हैं।
कवितावली की विशेषताएँ:
1. काव्य शैली: इसे तुलसीदास जी ने "कवित्त" शैली में लिखा है, जो दोहा और कवित्त जैसी छंदों का मिश्रण है। इसमें उन्होंने काव्य के रस और अलंकारों का अद्भुत प्रयोग किया है।
2. राम की वीरता और मर्यादा: कवितावली में राम का चित्रण एक वीर और मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में किया गया है, जो धर्म की स्थापना के लिए अधर्म का नाश करते हैं।
3. राजनीति और समाज का चित्रण: इसमें तत्कालीन समाज और राजनीति की भी झलक मिलती है। तुलसीदास जी ने रामराज्य का आदर्श प्रस्तुत किया है, जहाँ धर्म, न्याय और सच्चाई की स्थापना होती है।
4. राम और रावण युद्ध: इसमें राम और रावण के युद्ध का विस्तृत और जीवंत वर्णन है, जिसमें राम की वीरता और रावण के अहंकार के नाश का वर्णन किया गया है।
5. भक्ति और प्रेम का भाव: कवितावली में तुलसीदास जी की भक्ति, प्रेम और राम के प्रति आत्मसमर्पण का भाव प्रकट होता है। यह रचना उनके आध्यात्मिक अनुभवों और राम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दर्शाती है।
प्रसिद्ध पंक्तियाँ:
"मन मंदिर में बैठी रघुनाथा,
करहु कृपा जन पे अपने हाथा।"
कवितावली में तुलसीदास जी ने भगवान राम की महिमा और आदर्शों का ऐसा वर्णन किया है जो किसी को भी भक्तिभाव से अभिभूत कर देता है। यह काव्य ग्रंथ भारतीय साहित्य और भक्ति परंपरा में एक विशेष स्थान रखता है।
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