महर्षि वेद व्यास जी को सनातन के गुरु और धर्मशास्त्रों के जनक माने जाते हैं। वो ही महाभारत के रचयिता और महाभारत के पहले पात्र रहे हैं। वेद व्यास जी कई महत्वपूर्ण पुराणों के संकलनकर्ता थे।
आज आपको वेद व्यास जी का परिचय करवा रहे हैं।
वेद व्यास जी का असली नाम कृष्ण द्वैपायन था,
वे महर्षि पराशर और सत्यवती के पुत्र थे। इनकी जन्म गाथा भी अनोखी है जो आपको हमारे अगले लेख में बताई जाएगी,
व्यास जी ने संस्कृत भाषा में महाभारत की रचना की, जो विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है।
वेद व्यास जी ने वेदों को चार भागों में विभाजित किया—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद— इसीलिए उन्हें 'वेद व्यास' कहा जाता है।
वेद व्यास जी के मुख्य ग्रंथ
महाभारत की रचना, जिसमें श्रीमद्भगवद्गीता भी सम्मिलित है।
पुराणों का संकलन—अठारह प्रमुख पुराणों में से कई की रचना उन्होंने की थी, जैसे कि भागवत पुराण।
ब्रह्मसूत्रों की रचना भी व्यास जी ने की, जो वेदांत दर्शन का मुख्य आधार बना है।
वेद व्यास जी ने कई हिंदू धर्मशास्त्रों को संरचित और सुव्यवस्थित किया हैं।
महाभारत के माध्यम से वेद व्यास जी ने धर्म, नीति, कर्तव्य और मानव स्वभाव का गहन ज्ञान प्रदान किया।
व्यास जी के द्वारा किया गया, वेदों का विभाजन , इसी कारण ही वेदों का अध्ययन आसान हुआ।
आपको बता दूं कि महाभारत को वेद व्यासजी ने श्री गणेश जी भगवान द्वारा सामने बैठ कर लिखवा था, इसलिए महाभारत को पवित्र ग्रंथ भी माना गया हैं क्योंकि खुद गणेश जी भगवान ने लिखा था।
महर्षि वेद व्यास जी को सनातन धर्म में अत्यंत पूजनीय और प्रात स्मरणीय माना जाता है, और 'गुरु पूर्णिमा' भी उनके सम्मान में मनाई जाती है।
महर्षि वेद व्यासजी का पांडवों का गहरा संबंध था वो भी हम आपको बता रहे हैं।
वे न केवल महाभारत के रचयिता थे, बल्कि पांडवों के कुलगुरु और उनके पूर्वज भी थे।
वेद व्यास जी से ही पांडवों और कौरवों का जन्म हुआ था।
महर्षि व्यास जी की माता सत्यवती थीं, सत्यवती ने राजा शांतनु से विवाह किया था। उनके दो पुत्र विचित्रवीर्य और चित्रागंदा थे, लेकिन उनकी निसंतान ही अकाल मृत्यु हो गई ।
तब सत्यवती ने वेद व्यास जी को बुलाया और उनसे नियोग परंपरा के तहत विचित्रवीर्य की रानियों अंबिका और अंबालिका से संतान उत्पन्न करने का अनुरोध किया।
तब अंबिका से धृतराष्ट्र का जन्म हुआ ,जो जन्म से अंधे थे।
अंबालिका से पांडु का जन्म हुआ ,जो एक दुर्बल शरीर वाले थे।
एक दासी से विदुर का जन्म हुआ , जो बहुत ज्ञानी और न्यायप्रिय थे।
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इस प्रकार पांडवों और कौरवों के कुल की उत्पति हुई।
महाभारत की अन्य जानकारी के लिए हमारी अगली पोस्ट और अन्य लेख भी देखें।
एक से एक अच्छे लेख आपको मिलते रहेंगे।
धन्यवाद
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