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बुध देव हिंदू धर्म में प्रमुख नवग्रहों में से एक माना गया हैं। बुध को बुद्धिमत्ता, वाणी, तर्कशक्ति, व्यापार, गणित और ज्योतिष का देवता माना जाता है। वे भगवान श्री विष्णु जी के भक्त और चंद्रमा (चंद्र देव) और तारा ( देव गुरु बृहस्पति की पत्नी) के पुत्र हैं। बुध ग्रह का ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक है और इसे विद्या, संवाद, और सौम्यता का कारक माना जाता है।
बुध का जन्म चंद्र देव और बृहस्पति की पत्नी तारा के संयोग से हुआ। इसके कारण उन्हें चंद्रमा का पुत्र कहा जाता है।
उनकी उत्पत्ति को लेकर पुराणों में कई कथाएं मिलती हैं।
बुध देव का वर्ण (रंग) हरा बताया गया है।
वे हरे रंग के वस्त्र धारण करते हैं और उनके वाहन सिंह या रथ है, जिसे आठ घोड़े खींचते हैं।
उनके हाथों में तलवार, गदा, और ढाल होती है और वे वर मुद्रा में होते हैं।
बुध कुंडली में बुद्धिमत्ता, संवाद, तर्कशक्ति, और व्यापार का प्रतीक है।
बुध मीन राशि में नीच और कन्या राशि में उच्च होता है।
बुध की स्थिति यदि शुभ हो तो व्यक्ति बुद्धिमान, वाक्पटु और व्यापार में कुशल होता है। अगर यह अशुभ हो तो वाणी में दोष, शिक्षा में बाधा, और आर्थिक समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
बुध देव की कृपा पाने के लिए बुधवार के दिन उनकी पूजा की जाती है।
हरे रंग के वस्त्र पहनना, हरे मूंग का दान करना, और बुध मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।
बुध मंत्र:
ॐ बुधाय नमः
बुध देव को वाणी का स्वामी कहा जाता है, इसलिए संवाद और लेखन कार्य में उनकी पूजा की जाती है।
बुध का संबंध भगवान विष्णु से भी जोड़ा जाता है, क्योंकि वे भी बुध ग्रह के अधिपति हैं।
बुध देव की पूजा जीवन में ज्ञान, तर्क, और सफलता लाने के लिए की जाती है। उनकी कृपा से व्यक्ति जीवन के कई कठिनाईयों से उबर सकता है।
अन्य ग्रह और हिंदू धर्म की अधिक जानकारी के लिए हमारी अगली पोस्ट पढ़ते हुए आगे बढ़ सकते हैं।
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