"नरसी मेहता की हुंडी" एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा है आइए इस कथा को विस्तार से समझते हैं।
संत नरसी मेहता की कृष्ण भक्ति और भगवान श्रीकृष्ण के अपने भक्तों के प्रति अनन्य प्रेम और कृपा का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत करती है।
इस कथा में यह दर्शाया गया है कि सच्चे भक्त के प्रति भगवान का कैसा भाव रहता है और वह कैसे अपने भक्त की लाज रखता है।
कथा का सारांश
संत नरसी मेहता भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य भक्त थे, लेकिन वे आर्थिक रूप से बहुत गरीब थे।
एक बार, उन्हें किसी विशेष कार्य के लिए पैसे की आवश्यकता थी, और मदद के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं था।
तब उन्होंने अपने ईश्वर, भगवान श्रीकृष्ण पर विश्वास रखते हुए भगवान के नाम पर "हुंडी" (एक प्रकार का वचन पत्र जो उस समय का वित्तीय लेनदेन का साधन था) लिख दी। इस हुंडी में यह लिखा था कि यह हुंडी देने वाले को धन का भुगतान भगवान स्वयं करेंगे।
यह हुंडी नरसी मेहता ने एक व्यापारी को दी। व्यापारी ने हुंडी देखकर सोचा कि यह किसी गरीब आदमी का मजाक है, क्योंकि भगवान कैसे किसी को पैसा दे सकते हैं! फिर भी, वह हुंडी लेकर द्वारका गया, जहाँ भगवान कृष्ण का मंदिर स्थित है।
वहां व्यापारी ने इस हुंडी को भगवान के सामने रखा और कहा कि उसे इसका भुगतान चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण का चमत्कार
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भक्त नरसी मेहता की लाज रखते हुए उस व्यापारी को चमत्कारिक रूप से हुंडी की पूरी राशि का भुगतान किया।
कहा जाता है कि स्वयं भगवान ने किसी माध्यम से उसे धन प्रदान किया।
इस प्रकार, वह व्यापारी यह देखकर दंग रह गया कि नरसी मेहता का विश्वास और भक्ति वास्तविक थे।
कथा का संदेश
"नरसी मेहता की हुंडी" कथा में भक्ति, विश्वास, और भगवान के प्रति पूर्ण समर्पण का संदेश है।
यह कथा सिखाती है कि यदि हमारी भक्ति सच्ची और निष्कपट हो, तो भगवान हमारी सहायता अवश्य करते हैं और हर संकट में हमारे साथ खड़े रहते हैं।
नरसी मेहता का यह विश्वास था कि भगवान श्रीकृष्ण उनकी हर समस्या का समाधान करेंगे, और उनका यही अटूट विश्वास इस कथा का आधार बना।
इस कथा का आयोजन भी कई जगहों पर किया जाता है और इसे भक्ति गीतों, नाटकों और कथाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।
आपके वहां पर नरसी भक्त की कौनसी कथा ज्यादा फैमस हैं, हमे कमेंट बॉक्स में बताएं ताकि हम अगली पोस्ट में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश करेंगे।
Superb
जवाब देंहटाएं