आम आदमी पिछले कई सालों से वोट देते आ रहे हैं, आम जनता के लिए कोई नेता काम ही नहीं करता हैं, आम आदमी को वैसे ही सरकारी दफ्तरों में चप्पल घिसने पड़ते हैं। कोई बड़े लोगों को फायदा होता हैं तो वो, आम जनता को समाज सेवी बन कर अपने मित्र नेता को समर्थन देने की सलाह देता हैं।
बड़ी बड़ी पार्टी का कोई भी नेता अपने विचार या बल से जनता का काम करवा भी नहीं सकता है, यहां तक कि यदि जनता के साथ कोई अन्याय हो रहा है तो भी उसे जुबां पर ताला लगाकर रखना पड़ता हैं। अन्यथा पार्टी और पद से इस्तीफा देना पड़ता हैं।
पश्चिमी राजस्थान में लोग आत्म निर्भर है, सरकार के भरोसे नहीं रहते हैं, वो लोग आवश्यकताए भी सीमित करके रहते हैं, अज्ञानता और अनुभव के अभाव में शिक्षा भी अधूरी रह जाती है, कोई परिवार पालन पोषण के लिए तुरंत रोजगार की खोज में अन्य राज्यों में चला जाता हैं तो कोई परिक्षा के पेपर खरीदने में असमर्थ होता हैं।
युवा भरे यौवन में समर्पण कर लेता है, सरकार और परिवार का कोई रिश्ता हैं भी, यह समझ ही नहीं पाता है।
राजनीति शब्द से भी कतराता हैं, उसे लगता हैं कि यह कोई भाई चारा बिगाड़ने वाली बीमारी का नाम है।
कोई राजनीति या राजनेता के बारे में बुरा सोचता भी नहीं है क्योंकि इसके दो कारण हैं।
पहला तो यह है कि हमारा परिवार हमे ही पालना है कोई नेता मदद नहीं करता हैं।
दूसरा यह है कि हम बाहर रहते हैं, परिवार को कोई परेशान ना करें, इसलिए वो कोई ऐतराज नहीं करता हैं।
उसे नहीं मालूम कि हमारी इसी कमजोरी का फायदा उठाकर नेताओं की कई पीढ़ियां सुधर गई।
आज जब कोई युवा राजनीति की बात करता हैं तो, आम आदमी उस युवा से भी अधिक डर जाता हैं ,
और हजारों तर्क देता हैं, समाज, धन, पार्टी और सरकार आदि, रुकावटों की बात करता हैं।
खुद को पतली रस्सी से बांधा हुआ हाथी मान लेता है जिसे, एक झटके में भी तोड़ा जा सकता है।
कहता है बड़ी बड़ी पार्टियों के सामने जीतना भी मुश्किल है और काम भी नहीं करवा पाएगा।
उसे यह नहीं पता कि एक आदमी ने ही पार्टी की शुरुआत की और उसे बड़ी पार्टी बनाया।
काम करवाने की बात करता हैं तो उसे पता होना चाहिए कि बड़ी पार्टियां जहां जहां हारती है वहां अगली बार जीतने के लिए भी काम करती हैं।
लाख मुसीबतों के बाद भी पार्टी अपना क्षेत्र हारना नही चाहती,
आज बाड़मेर जैसलमेर में एक युवा राजनीति में आने की कोशिश कर रहा हैं तो, देश की बड़ी पार्टियां और सभी राजनेता, सारे ऐशो आराम छोड़ कर, थार के रेगिस्थान में डेरा डालने लगे।
लेकिन उनसे भी ज्यादा कोई डरा हुआ है तो वह है यहां का आम आदमी, जो पार्टियों के दबाव में आ रहा हैं।
आज डरने का नहीं, हिम्मत करके नए नेता को तैयार करने का समय है,
तुम्हारे एक वोट की समझने का अच्छा अवसर आया हैं,
तरीका भी सरल है, तुम चाहे किसी भी पार्टी के साथ घुम रहे हैं या समर्थन देने की हां कर चुके हैं तो भी, पिछले ७५ सालों के विकास को ही ८० साल का विकास समझकर, ये पांच साल नए नेता भाटी को सेव का ९ नंबर बटन दबाकर दे देना।
तुम्हे कोई देख नहीं रहा होगा, कहीं तुम्हारा नाम सामने नही आ रहा हैं।
फिर डर किस बात का कर रहे हैं।
यदि आज भाटी हार गया तो, इस क्षेत्र से कोई भी नेता बनने की सोच भी नही सकता है और इन्ही नेताओं के परिवार वाले आयेंगे और हम पर हमारे बच्चों पर राज करेंगे।
यदि आज आपने रविंद्र सिंह भाटी को जीता दिया तो, अगले चुनावों में अनेकों युवा नेता बनेंगे और देश को पढ़े लिखे और बेदाग छवि वाले नेता मिलेंगे।
नेताओं के वोट मांगने और काम करने के तरीके भी बदल जायेंगे।
आपके एक इशारे पर हर सरकारी काम होने लगेगा क्योंकि आज जो डर हम पालकर बैठे थे वो, इन नेताओं को घेर लेगा,
और तो क्या बताऊं, नेताओं का तरीका बदलना हैं तो,
रिश्वत को रोकना है तो, सरकारी दफ्तरों से फटाफट काम करवाना है तो, नेताओं को हैसियत दिखाना है तो, बाड़मेर जैसलमेर बालोतरा की पहचान देश को करवानी है तो, मारवाड़ी भाषा को मान्यता दिलानी हैं तो, ओरण और गोचर भूमि से अतिक्रमण हटाना है तो, पानी के टैंकरों से मुक्ति पानी हैं तो और खुद को खुद की पहचान करवानी है तो, सिर्फ वोट ही तो रविंद्र सिंह भाटी को देना है।
बैलेट 9 नंबर सेव का निशान याद रखना हैं।
धन्यवाद
लेखक: इस क्षेत्र
का मतदाता (आगामी विचारक)