शाकाहारी लोगों के साथ एक समस्या है कि उनकी हड्डियां जल्दी कमजोर हो जाती है और घुटने असमय ही जवाब दे देते हैं।
एक समाधान
हम उस देश के वासी हैं, जिस देश में .... परंपराओं में पूजा पाठ में "विटामिन सी" शामिल है!
पूरी दुनिया में एंटीऑक्सीडेंट को जब कोई जानता नहीं था,
उस एंटी ऑक्सीडेंट और एंटीएजिंग के स्रोत आंवले
की पूजा की जाती है!!
- आंवले को खाना परंपरा माना जाता हो
- आंवले के पेड़ के नीचे भोजन करना शुभ माना जाता है
आंवले की लकड़ी को कुएं में लगाया जाता हो ताकि जो पानी भी एंटी ऑक्सीडेंट से भरपूर आए
उस देश में एमवे और फॉरएवर जैसे लुटेरी कंपनियां अलग-अलग न्यूट्रास्यूटिकल के नाम से
विटामिन सी,
विटामिन डी
ओमेगा
एंटीऑक्सीडेंट
के नाम से हमें
"हड्डियों का चूरा"
"मछली का पाउडर" या अलग-अलग पशुओं की दांत,
खाल,
जैसा नॉनवेज खिलाए!
रिवाइटल जैसे कैप्सूल जहां हजारों करोड़ में लोग सुबह सुबह खा जाते हों,
तो यह मानसिक गुलामी ही कहा जाएगा,
जिस दिन आपकी सब्ज़ी में आंवले का उपयोग होना शुरू हो गया उस दिन से आधा मेडिकल माफिया जो आपको दिन रात लूटता रहता वह भाग जाएगा।
सनातन भारत में सब्जी में खट्टापन लाने के लिये टमाटर के स्थान पर आंवले का प्रयोग होता था ।
इसलिये सनातन हिंदुओ की हड्डियां महर्षि दधीचि की तरह कठोर होती थीं।
इतनी मजबूत होती थी कि महाराणा प्रताप का महावज़नी भाला उठा सकतीं थी ।
आज तमाम तरह के कैल्शियम विटामिन्स खाने के बाद भी जवानी में ही हड्डियां कीर्तन करने लगती हैं ।
जिस मौसम में देशी टमाटर मिले तो ठीक लेकिन अंडे जैसे आकार के अंग्रेजी टमाटर खाने के स्थान पर आंवले का प्रयोग आपकी सब्ज़ी को स्वादिष्ट भी बनाएगा और आपको मेडिकल माफिया के मकड़जाल से भी बाहर निकालेगा । आंवला ही एक ऐसा फल है जिसमे सब तरह के रस होते है । जैसे आंवला , खट्टा भी है मीठा भी कड़वा भी है नमकीन भी ।
आँवले का सनातन संस्कृति में महत्तम इतना है कि दीपावली के कुछ दिन बाद आँवला नवमी मनाई जाती है ।
आपको करना केवल इतना है कि साबुत या कटा हुआ आँवला ,बिना बच्चों और आधुनिक सदस्यों को बताए सब्ज़ी में डाल देना है ।
अगर आँवला साबुत डाला है तो सब्ज़ी बनने के बाद उसको ऐसे ही खा सकतें है । जब आंवला नहीं मिलता तो आँवले को सुखा कर पीस कर इसका प्रयोग उचित है ।
मेडिकल माफिया को भगाएं आंवला अपनाएं ।
लेखक
Cp राकेश भारत
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
अच्छा हैं