कोरोना
कोरोना शब्द का यदि हमारी भाषा राजस्थानी (मारवाड़ी) में अनुवाद किया जाये तो, यह कोई बिमारी नहीं अपितु एक सलाह है।
जिसके ना मानने का दंड आज पूरी दुनिया भुगत रही हैं।
यह कोरोना वायरस ७५ नेनोमीटर से भी छोटा कण है जिसने सभी प्राणियों का जीवन संकट में डाल दिया है।
पिछले १०० सालों से विज्ञान और तकनीक की मदद से मनुष्य ने प्रकृति के साथ बहुत ख़िलाफत की है।
वायु को प्रदुषित करना, जंगलों को शहरी क्षेत्र बनाने, पशु पक्षियों को छति पहुंचाने और यहां तक कि, नभ में भी अपनी महानता का सबूत छोड़ने की कोशिश की है।
इन सब कारणों से पिछले कई सालों से प्रकृति को अपने कार्य में बदलाव लाने के लिए मजबूर कर दिया।
जिसका सबूत आज हम स्पष्ट देख पा रहे हैं, सर्दियों में गर्मी, गर्मियों में बरसात, वर्षा ऋतु में गर्मी आदि।
अब बात करें कोरोना के मारवाड़ी अर्थ के बारे में, "कोरोना" यानि मारवाड़ी में "को रोह ना" होता है।
को - क्या नहीं (मारवाड़ी में मना करने के लिए "को" शब्द का प्रयोग किया जाता है।)
रो- रोह ( रूकने के लिए मारवाड़ी में "रोह" शब्द का प्रयोग किया जाता रहा है।)
ना- नहीं (नहीं को मारवाड़ी में छोटा करके "ना" शब्द बना दिया जाता है।)
सार सहित अर्थ यह है कि ,
क्या आप नहीं रूक सकते हैं, क्या आप रुकोगे ही नहीं,
क्या कुछ भी करने के बाद भी नहीं रुकोगे।
"थे को रोह ना, कांई करया भी।"
जो लाख कौशिश करने के बाद भी नहीं रुकते हैं या बुरे कर्म करते रहते हैं, प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते रहते हैं और अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति को गलत ठहराते हैं उनके लिए प्रयोग में लाया जाने वाला शब्द है "कोरोना" ।
जिसे विज्ञान की भाषा में वायरस कहा जाता है।
धन्यवाद
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देवा जांगिड़ बाण्ड