शुक्रवार, अप्रैल 12, 2019

हिन्दुओं को जानना जरूरी है, यह बातें

दोस्तों आज मैं आपको हिंदू धर्म के कुछ रहस्य की बातें बता रहा हूं, जो कम लोग ही जानते हैं, लेकिन यह रहस्य हम सब हिन्दुओं को जानना जरूरी है।

हम बाहरी लोगों के फेसन और दिखावे में आकर अपने धर्म को भूल जाते हैं, आज भारत के दक्षिण भाग में धर्मांतरण की गति बढ़ रही हैं, कोई ईसाई, तो कोई मुस्लिम बन रहे हैं।

हिंदू कम होते जा रहे हैं, यह यदि चलता रहा तो आने वाले समय में भारत हिंदू रहित देश बन जायेगा ।

हमे अपने भाइयों को धर्म बदलने से रोकना होगा।

हमारी बहन बेटियां मुस्लिमों के लव जिहाद का शिकार हो रही हैं।

हम तो संतान उत्पति को कम कर रहे हैं और ‘हम दो हमारे दो’ , की बात कर रहे हैं।

मुस्लिम अनेक शादियां करके अनेक बच्चे पैदा कर रहे हैं।

ईसाई भी टोने टोटके करके हमें अपने धर्म में जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

हम हमारे प्राचीन समय के दिन, दिवस, पर्व और रीति रिवाज से वांशित करके अपने बच्चों को नए नए त्यौहार मानने को राजी कर रहे हैं जो गलत है।

बर्थ डे, वेलेंटाइन डे, किसमिस डे, थर्टी फर्स्ट, अप्रैल फूल आदि आदि।

हम खुद होली का रंग खेलने को मना कर रहे हैं, दीवाली के पटाखे जलाने का मना कर रहे हैं, शिवलिंग पर दूध चढ़ाने वाले को मना कर रहे हैं।

याद करो जब हिंदू धर्म में कोई डॉक्टर नहीं हुआ करता था, तब भी यह अभी वाली बीमारियां नहीं होती थी, जड़ी बूटियों घिसने वाले वैद्य और चमत्कारी साधू संत ही हमारे डॉक्टर थे।

इस समय के बाबा भी हमें अपने धर्म से भटका रहे हैं।

हमारे चारों ओर षडयंत्र रचा जा रहा हैं, अन्य धर्मों के द्वारा , जो हम देख नहीं पा रहे हैं, हमारा धर्म हमसे जबरन छुड़वाया जा रहा हैं परन्तु, हम महशुश भी नहीं कर पा रहे हैं।

हमें हमारे धर्म में खामियां गिनाई जा रही हैं, खाने की वस्तुओं में मांस मिलाकर खिला रहे हैं।

जातियों का बंटवारा हो रहा हैं, बच्चों को स्कूलों में धर्म से अलग पाठ पढ़ाए जाते हैं, धार्मिक लोगो को अंधविश्वासी बताया जा रहा हैं।

विज्ञान की आड़ में धर्म से अलग किया जा रहा हैं।

मेरी बातों को नजरंदाज मत करना,

हिंदू धर्म की प्राचीन रहन सहन, खान पान, और रीति रिवाज को फिर से आजमाना होगा,

आजकल हमारे कई हिंदू भाई बहन हमारी संस्कृति को लेकर शर्म महसुश करते हैं और आसूरि मानसिकता पर गर्व करते हैं।

लेकिन हमें हमारे धर्म और संस्कृति पर गर्व होना चाहिए।

कहो “ मुझे गर्व हैं कि मैं हिंदू भी हूं”

मेरा धर्म ही मेरा देश, कर्तव्य, परिवार और जीवन है।

बाकि तो गुलामी हैं ।

जय हिन्द,

।।जय श्री राम।।
देवा जांगिड़
सामाजिक विचारक

बाबा रामदेव जी किसके घर अवतरित हुए ?

आज हम बात करेंगे बाबा रामदेव जी के अवतार की, अनेक ऐसी कथाओं में आपने सुना होगा कि बाबा रामदेव जी के पिता का नाम राजा अजमल जी हैं और उनके घर पर रामदेव जी ने अवतार लिया था,

लेकिन हमने भी इतिहास की किताबों , ग्रन्थों और जानकारों से सहायता ली, तो,

एक अलग ही कहानी नजर आती हैं, जो, काफी हद तक सही भी मानी जा सकती हैं,

राजस्थान में मेघवंशी समाज के लोग तो बोलते हैं कि बाबा रामदेव जी हमारी समाज से ही थे,

और उनके इस कथन को सही करते हुए अन्य समाज में भी एक कहावत काफी प्रचलित हैं

 " रामदेव जी ने  जो मिले, वो ढेढ़  ही"

इसका अर्थ है कि बाबा रामदेव जी को ढेड (मेघवंशी, मेगवाल) ही मिले थे, क्यूंकि उनका जम्मा (भजन कीर्तन) देना भी मेघवाल का अधिकार है, उनको मारवाड़ी भाषा में रिखिया बोलते है,

दूसरा और सबसे बड़ा कारण हैं कि बाबा रामदेव जी का जन्म भी इसी मेघवाल समाज में एक रीखिया शायर के घर हुआ था ।

लेकिन इस बात को कम लोग ही मानते है, 

कहते हैं कि शायर के घर बाबा के अवतार लेते ही घर में रखे हुए सारे जल पात्र दुध से भर गए, मंदिर के यन्त्र स्वर करने लगे, आधी रात को भी रोशनी से घर में उजाला हो गया, शायर और उनकी पत्नी भयभीत हो गए, शायर अपने राजा अजमल जी के पास गया, सारा घटनाक्रम बताया, 

तो अजमल जी भगवान के संकेत समझ गए,

भगवान ने अजमल जी को बताया था कि मैं आऊंगा उस वक्त यह हलचल होगी,

अजमल जी ने शायर को कहा कि आप अपने बच्चे को हमारे महल में पालने में विरमदेव के साथ सुला दो और किसी को इसकी खबर ना हो, 

यह बात आपके और मेरे बीच ही रहनी चाहिए,

शायर ने वेशा ही किया जैसा, द्वापर युग में वासुदेव जी ने श्री कृष्ण जी को नंद जी के घर पहुंचाया था,

इस बात की पुष्टि तोमर वंश के ही एक लेखक ने अपनी किताब "रामदेव पुराण" में भी की हैं।

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धन्यवाद

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संत रामानंद जी महाराज के शिष्य

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