हम और आप,
हमारे पास जुबां होने के बाद भी हम बोल नहीं पा रहे, जो हमें बोलना चाहिए और जिनके पास जुबां नहीं है वो भी इशारा कर समझा देते हैं।
परंतु, बुरा तब लगता है जब जुबां वाला कड़वा बोल देता है। इससे तो चुप ही बेहतर हैं।
हमारी वाणी जितनी मधुर एवं शुद्ध होगी, हमारी ख्याति और प्रसंशा भी उतनी ही अधिक होगी।
जीवन में अच्छा आदमी कहलाना चाहते हैं तो कुछ आदतों को छोड़ कर बोलने में माहिर हो सकते हों।
सामने वाले को हमारे अधिक बोलने का अहसास भी नहीं होगा यदि, आप दो शब्दों का प्रयोग करने लगे तो। https://amzn.to/2ReFRoL
पहला शब्द है 'आप’
उदाहरण के लिए - आप कैसे हैं, आप क्या करते हैं,
यदि आप की जगह 'तुम’ का प्रयोग किया जाये तो बहुत कुछ बदल जाता है।
सामने वाले को कम आंकने के समान होता है।
दुसरा शब्द है 'हम’
उदाहरण के लिए - हम यह कर सकते हैं, हम साथ में है तो कोई हमारा क्या कर लेगा,
- हम शब्द से सभी सदस्यों, साथियों और पूरे संगठन को श्रेय जाता है।
यदि इस जगह आप ‘मैं’ का प्रयोग करते हैं तो आपको हानि होगी क्योंकि, पूरा श्रेय खुद ले लेते हैं और आपके साथी आपसे नाराज़ हो कर आपका साथ छोड़ देंगे।
जिसने अपनी वाणी में मधुरता लाने का प्रयास किया है वो ही सबका चहेता बन गया है।
धन्यवाद मित्रों
आपका दोस्त - देवा जांगिड़
(सामाजिक विचारक)
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अच्छा हैं