रविवार, मई 28, 2017

कभी दिल्ली देखी हैं ?

मुझसे किसी ने पुछ लिया,
“क्या तूने कभी दिल्ली देखी हैं”
****
मैं डर गया था उस वक्त,
क्युंकि हर पल हर घडी हम सुनते रहते हैं “दिल्ली”
हमारे गाँव में जब मतदान होता हैं तब यह जगह बहुत फेमस हो जाती हैं,
कानों में कुछ शब्द आते जाते रहते हैं, ‘ दिल्ली’ ‘नई दिल्ली’ ‘सरकार’ ‘केंद्र’ ‘विकास’ और ‘गरिबी’,
लेकिन गरिबी को छोड़कर बाकी नाम वाली सभी जगह अब तक देखी नही थी,
हमारे गाँव के बडे बुढे कहते थे, अबकी बार हाथ की सरकार आई हैं, अबकी बार फूल की सरकार आई हैं,
हम गाँव के चोक जाकर देखते थे, पर खाली आंखे मुझसे पुछती थी, बेटा सरकार अभी तक दिख नही रही,
आखिर हमने जब कभी गाँव वालों से पुछा तो बोले, बेटा वो तो आकर चली गयी, अबकी देखते हैं कौन्सी आवे हैं,
पिछले तीस सालों से हमको यही जवाब मिलता था.
एक हमारे गाँव वाला भी हमारे अन्गुलियों के नाखून काला करवा के दिल्ली गया था,
पांच साल हो गया,
अब यह दिल्ली देखने की बात कर रहा था,
फिर डर तो लगना ही था,
कहीं उसको भी इसी तरह दिल्ली ले गया होगा,
गाँव वालों ने कह रखा था, अंजान आदमी आता हैं दिल्ली ले जाता हैं और बेच देता हैं,
दादाजी की कही बात आज सच हो रहि लग रहा था,
मेने आव देखा न ताव,

गायों के लिये इकठ्ठे किये चारे के ढेर में घुस गया,
क्युंकि कुछ साल पहले भी हमारे गाँव शादीशुदा लोग भी पेड़ो पर और छुप छुपकर दिन काटते थे,
आज मुझे भी यही लग रहा था,
मैने अपनी जान की परवाह किये बगेर हिम्मत करके उस आदमी से पुछ ही लिया :-
बताओ, वो आदमी का क्या किया तुमने,
जो हमको कहकर गया था कि “ मैं दिल्ली जाकर आता हुँ”
लेखक :- देवा जाँगिड़ “बान्ड”
नोट:- कृपया लेख में काट छाँट ना करें, ऐसा करने पर हमारी कोई जिम्मेदारी नही रहेगी.
अत: आप पर कानूनी संकट आ सकता है !
धन्यवाद

बुधवार, मई 17, 2017

मेरा राम न्यारा रे

मेरा राम न्यारा रे,
नाम रंग रूप और आकारा रे,
मेरा राम न्यारा रे !!
ना प्रसाद लेता मुझसे वो,
ना धूप धुकारा रे !
ना भंगवा पहनन को कहता,
ना त्यागन को संसारा रे !!
मेरा राम………….,
ना कहता मुंडन को माथा,
ना ही मुँछ कटारा रे !
जटा बढावन ना बोले,
ना भस्म खेलन अंगारा रे !!
मेरा राम…………,
ना मंदिर, ना मस्जिद बनाना,
ना ही चर्च गुरूद्वारा रे !
ना कहता तिर्थाटन जाओ,
ना नहाना गंगधारा रे !!
मेरा राम……………,
मक्का काशी मगहर ना भेजे,
ना पूजावे चांद तारा रे !
नवरात्र रोजा ना रखावे,
ना करता बकरा भैंसा आहारा रे !!
मेरा राम………….,
न वाद्य आरती मे,बांग न अजान मे,
न मद्य मे मतवारा रे !
चादर गहना बलि ना माँगे,
न टोपी पगडी तलवारा रे !!
मेरा राम…………..,
ब्राह्मण काजी पादरी,
और पीर फकीरा रे !
एक सरीखा वांकु सब,
काला गौरा निर्धन अमीरा रे !!
मेरा राम…………..,
रैण दिवस क्या ह्र्दय से अर्ज कर,
सोवत जागत अंदर बाहरा रे !
हम बालक तेरे तुम नाथ हमारे,
प्रभु “देवा” मूर्ख फिर भी तेरा प्यारा रे !!
मेरा राम………..,
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई एक ही हैं,
ये तो जग का धारा रे !
जीव निर्जीव सारे उंके घडे,
तुम और ये देवा सुथारा रे !!
मेरा राम न्यारा रे,
नाम रंग रूप और आकारा रे !
मेरा राम न्यारा रे !!

शुक्रवार, मई 12, 2017

गरीब आदमी, संसद का सदस्य

देश में पेट्रोल की कीमत कैसे तय होती है, उसका पूरा प्रोसेस इस प्रकार है :-
कच्चे तेल की वर्तमान कीमत = 50 डॉलर प्रति बेरेल।
(जहाँ,  $1 = 63/-
और 1 बेरेल = 159 लीटर )
यानी, $50 = Rs.3150/-
1 लीटर कच्चा तेल भारत खरीदता है (3150/159) =19.80 रुपयों में।
1 लीटर पेट्रोल बनाने के लिए लगने वाला कच्चा तेल -  
0.96 लीटर @19.80/- = 19.00/-
अब कच्चे तेल में से
 एक लीटर पेट्रोल बनाने की फिक्स्ड कीमत होती है 6 रूपये (ट्रांसपोर्टेशन मिलाकर)।
यानी, 19.00 रूपये + फिक्स्ड कीमत, 6 रूपये = 25.00 रूपये में एक लिटर पेट्रोल बनता है।
अब उसमे केंद्र सरकार का टेक्स लगता है, 25% यानी 6 रूपये।
यानी 25 + 6 = 31 रूपये।
और उपर से
 फिर राज्य सरकार के टेक्स जैसे VAT,
जिसे हम एवरेज 15% गिने तो होते है 5 रूपये यानी कुल मिलाकर होते है 36 रूपये।
और आखिर में पेट्रोल पंप डीलरों को पर लीटर 90 पैसे कमिशन दिया जाता है तो होते है कुल 37 रूपये।
लेकिन फिर भी आज हमे 73/- प्रति लीटर में पेट्रोल मिल रहा है॥
कृपया कड़ी मेहनत
 से प्राप्त हुई ये जानकारी देश के हर एक नागरिक तक पहुँचाने की कोशिश करे ।
शान है या छलावा...।
पूरे  भारत  में एक ही  जगह ऐसी  है  जहाँ खाने  की चीजें  सबसे सस्ती है ।
चाय = 1.00
सुप = 5.50
दाल= 1.50
खाना =2.00
चपाती  =1.00
चिकन= 24.50
डोसा = 4.00
बिरयानी=8.00
मच्छी= 13.00
ये  सब चीजें  सिर्फ
  गरीबों के  लिए  है  और ये सब Available है  भारतीय संसद भवन की कंटिन में।
और  उन  गरीबों की  पगार है  80,000 रूपये  महीना वो  भी  बिना इंकम टेक्स के
कि यही कारण  है  कि  इन्हें लगता है  कि जो  आदमी  30 या 32 रूपये  रोज  कमाता है  वो गरीब  नहीं हैं।

छप्पन इंस का सीना

56” इंस का सीना
देश में आँतकवादी रोज आ रहे हैं,
नक्सलवादी जोर अपना दिखा रहे हैं,
बिना सर के धड़ , शहीद के आ रहे हैं,
और वो घर घर शोचालय बना रहे हैं,
पार्टी वाले हर हर मोदी गा रहे हैं,
विपक्ष के घोटाले गिना रहे हैं,
डिजिटल धन अपना रहे हैं,
पढे लिखों से अँगूठे लगवा रहे हैं,
बच्चो से आधार का प्रचार करा रहे हैं,
पतंज्ली की पुत्रबिजक दवा चला रहे है,
पत्नी को भुलाकर बेटी बचाओ कह रहे है,
तीन तलाक से डर रहे हैं,
गौ सेवक को गुंडा समझ रहे हैं,
पाक में बिन बताये चाय पी के आ रहे हैं,
कशमीर के लिये यूएस यू के जा रहे हैं,
चश्मे मे स्व्स्छ भारत लिखा रहे हैं,
चर्खे में फोटो अपना छपा रहे हैं,
नोटो में गांधी को घुमा रहे हैं,
वोटो में खादी को झुमा रहे हैं,
या तो सीना छोटा करा रहे हैं
या ‘देवा’ बयान भुला रहे हैं,
ए ‘जाँगिड़’ कई गीत गा रहे है,
अब ‘बान्ड’ में अच्छे दिन आ रहे हैं.!

विशिष्ट पोस्ट

संत रामानंद जी महाराज के शिष्य

लोकप्रिय लेख