शुक्रवार, जनवरी 06, 2017

एक यात्रा मेरे गाँव की

मेरा गाँव
राजस्थान के रेतीले धोरें और दूर दूर तक सूखे झाड़, सुनसान चलती अविरल हवा में उड़ते धूल भरे गुब्बार, झाडी काँटों में मुँह डाल कर चारा ढूंढती बकरियां, खेजड़ी के पेड़ के नीचे आराम से चारा पचाती गायें, टकटकी नजरों से देखते हिरणों का झुंड,मुँह से कान में एक दूसरे से बातें करती हुई भेड़े, केर की छाया में बैठा नेवला, भोजन की तलाश में घूमती हुई लोमड़ी, टूटी हुई सड़क से गुजरती खटारा, मजबूत इरादों के साथ खेत की तरफ जाता हुआ किसान, पानी की टैंकर के साथ धोरें पर चढ़ने की कोशिस करता ट्रेक्टर, उसके आगे पीछे दौड़ते आठ दस मैले कुचैले बच्चे, सवारियों के बोझ से छत और फाटक तक भरी घूमे हुए सेप की प्राइवेट बस, उसमे बैठे बीड़ी वाले भाई जी , सिर पर मोटी पगड़ी कंधे पर कमीज और हाथ में एक कुते भगाने की लकड़ी लिए बस को रोकने का इशारा करता बुजुर्ग, 5-7 मीटर कपडे से बना घेरदार घागरा और 3 मीटर की ओढ़नी से ढका पूरा शरीर, बस से उतरने की तैयारी करती औरत, चॉकलेट बिस्किट की चाह में घर से बस की तरफ आते हुए नन्हे नन्हे बच्चे,
टाइम मिलेगा तो और बताऊंगा हमारे गाँव की महिमा,
अब एक यहाँ तक ही रुकता हूँ!

कभी आइये हमारे गाँव भी
गाँव- बांड तह. गुड़ामालानी
जिला- बाड़मेर ( राजस्थान)

देवा जांगिड़

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