राजस्थान में किसानों का जमीं में गढ़े खोदकर अंदर बेठना,
एक दो दिन नहीं, पिछले कई दिनों से,
आपके विचार क्या है,
या तो किसान पागल है,
या तो किसान के पास काम नहीं है,
या तो किसान किसी पार्टी का समर्थन कर रहे हैं,
या तो किसान राजनीति कर रहा है,
या तो किसान गलत हैं,
राजस्थान सरकार इस बात पर भी चुप क्यों हैं?
यदि किसान गलत हैं, तो बोल देना चाहिए,
सही है तो, उनकी मांगों को मान लिया जाए,
देश का कोई नागरिक यदि कोई मांग कर रहा हैं, सब लोग जान रहे हैं कि राजस्थान में किसानों का धरना जारी हैं,
यहां तक कि प्रधानमंत्री तक सबको पता है,
फिर भी सब चुप है,
अपनें अगले चुनाव के लिए तैयार हो रहें हैं,
मानवाधिकार आयोग के लोग भी चुप हैं,
आदमी अपना शरीर जमीन के अंदर रखने से, उनके शरीर में कितनी बिमारियों को मौका मिलता हैं,
इंसानियत के नाते तो, एक बार उन्हें जमीन से बाहर आने का मौका दो,
बाहर निकालने पर तुले हो, इसलिए तो किसान मजदूरी छोड़ कर जमीन पकड़ कर बैठे हैं,
उनके भी बाल बच्चों को भूख लगती हैं,
यह ब्लॉग कुछ सामाजिक कार्य , मनोरंजन, आर्थिक रूप और जीवन में भागीदार हैं सामाजिक विचारों का दर्पण दिखाने का प्रयास किया है हिंदी को महत्व देते हुए, धर्म और कर्म की ओर आप सभी दोस्तों के लिए मार्गदर्शन हों ।
शनिवार, अक्टूबर 21, 2017
किसान भूमि सत्याग्रह ?
सोमवार, अगस्त 07, 2017
राखी का त्यौहार
राखी पर लगेगा ग्रहण
रविवार, मई 28, 2017
कभी दिल्ली देखी हैं ?
“क्या तूने कभी दिल्ली देखी हैं”
****
मैं डर गया था उस वक्त,
क्युंकि हर पल हर घडी हम सुनते रहते हैं “दिल्ली”
हमारे गाँव में जब मतदान होता हैं तब यह जगह बहुत फेमस हो जाती हैं,
लेकिन गरिबी को छोड़कर बाकी नाम वाली सभी जगह अब तक देखी नही थी,
हमारे गाँव के बडे बुढे कहते थे, अबकी बार हाथ की सरकार आई हैं, अबकी बार फूल की सरकार आई हैं,
हम गाँव के चोक जाकर देखते थे, पर खाली आंखे मुझसे पुछती थी, बेटा सरकार अभी तक दिख नही रही,
आखिर हमने जब कभी गाँव वालों से पुछा तो बोले, बेटा वो तो आकर चली गयी, अबकी देखते हैं कौन्सी आवे हैं,
पिछले तीस सालों से हमको यही जवाब मिलता था.
एक हमारे गाँव वाला भी हमारे अन्गुलियों के नाखून काला करवा के दिल्ली गया था,
पांच साल हो गया,
अब यह दिल्ली देखने की बात कर रहा था,
फिर डर तो लगना ही था,
कहीं उसको भी इसी तरह दिल्ली ले गया होगा,
गाँव वालों ने कह रखा था, अंजान आदमी आता हैं दिल्ली ले जाता हैं और बेच देता हैं,
दादाजी की कही बात आज सच हो रहि लग रहा था,
मेने आव देखा न ताव,
गायों के लिये इकठ्ठे किये चारे के ढेर में घुस गया,
क्युंकि कुछ साल पहले भी हमारे गाँव शादीशुदा लोग भी पेड़ो पर और छुप छुपकर दिन काटते थे,
आज मुझे भी यही लग रहा था,
मैने अपनी जान की परवाह किये बगेर हिम्मत करके उस आदमी से पुछ ही लिया :-
बताओ, वो आदमी का क्या किया तुमने,
जो हमको कहकर गया था कि “ मैं दिल्ली जाकर आता हुँ”
लेखक :- देवा जाँगिड़ “बान्ड”
नोट:- कृपया लेख में काट छाँट ना करें, ऐसा करने पर हमारी कोई जिम्मेदारी नही रहेगी.
अत: आप पर कानूनी संकट आ सकता है !
धन्यवाद
बुधवार, मई 17, 2017
मेरा राम न्यारा रे
नाम रंग रूप और आकारा रे,
मेरा राम न्यारा रे !!
ना प्रसाद लेता मुझसे वो,
ना धूप धुकारा रे !
ना भंगवा पहनन को कहता,
ना त्यागन को संसारा रे !!
मेरा राम………….,
ना ही मुँछ कटारा रे !
जटा बढावन ना बोले,
ना भस्म खेलन अंगारा रे !!
मेरा राम…………,
ना ही चर्च गुरूद्वारा रे !
ना कहता तिर्थाटन जाओ,
ना नहाना गंगधारा रे !!
मेरा राम……………,
ना पूजावे चांद तारा रे !
नवरात्र रोजा ना रखावे,
ना करता बकरा भैंसा आहारा रे !!
मेरा राम………….,
न मद्य मे मतवारा रे !
चादर गहना बलि ना माँगे,
न टोपी पगडी तलवारा रे !!
मेरा राम…………..,
और पीर फकीरा रे !
एक सरीखा वांकु सब,
काला गौरा निर्धन अमीरा रे !!
मेरा राम…………..,
सोवत जागत अंदर बाहरा रे !
हम बालक तेरे तुम नाथ हमारे,
प्रभु “देवा” मूर्ख फिर भी तेरा प्यारा रे !!
मेरा राम………..,
ये तो जग का धारा रे !
जीव निर्जीव सारे उंके घडे,
तुम और ये देवा सुथारा रे !!
मेरा राम न्यारा रे,
नाम रंग रूप और आकारा रे !
मेरा राम न्यारा रे !!
शुक्रवार, मई 12, 2017
गरीब आदमी, संसद का सदस्य
छप्पन इंस का सीना
रविवार, अप्रैल 09, 2017
आखिरअक्षय कुमार ने भारतीय जवानों के लिये एप बना ही दिया
ये वेबसाइट रविवार से ही शुरू हो गई है और आनेवाले दिनों में जरूरत के हिसाब से इसमें अगर बदलाव की जरूरत हुई तो वो भी किया जाएगा.
सोमवार, मार्च 13, 2017
हम सब एक होना चाहते हैं,
मंगलवार, जनवरी 10, 2017
एक बुजुर्ग की दर्द भरी दास्तां
मैं भी जवानी के समय एक अच्छे परिवार की नींव रखने की सोच रहा था, मेरे अपने प्यारे प्यारे बच्चे हों, उन्हें पढ़ा लिखा कर काबिल बनाऊंगा!
मेरे माँ बाप ने जो मेरे लिए दुःख सहन किया, उसी तरह मैं भी उनके लिए मेहनत करके , अपने पैरों पर खड़ा करूँगा !
और मैने वो सब किया भी , अपने बच्चों के लिए,
अब बच्चे बड़े होकर बेटे बन गये हैं !
शादी हो गयी हैं,एक ने लव मैरिज किया हैं वो तो अपनी पत्नी के साथ शहर में अलग मकान में रहता हैं !
दूसरे की शादी समाज की लड़की से हुई हैं उसके साथ हम बूढ़ा बूढी रहते हैं !
हमारी बिमारी के कारण उनको परेशानी हो रही थी तो शहर में दूसरे बेटे के पास आगये, अब यहां भी परेशानी हो रही है इनको हमारे रहन सहन से,
हमारे पास ढंग नही हैं रहने का,
वापस गाँव भेज दिया है हमको आज,
छोटे और बड़े के बीच नोक झोक हुई और बात बंटवारे तक आ गयी, बूढी शहर में बूढ़ा गाँव में,
बहुओ को हमारी आदते पसंद नही थी, बेटों ने उनकी बात सही समझी और हम बूढ़ा बूढी घर से बाहर की तरफ हो गये,
यह बेटे बहुओ का दोष था या हमारा जो इनको पैदा किया !
ठण्ड गर्मी वर्षा सारे मौसम हमने दो तीन बार देखें थे !
फिर भगवान ले गया हमको अपने पास
आज वो दोनों खुश हैं कि हमारे माँ बाप होते तो लोग ताना मारते, अच्छा हुआ कि मर गये,
आप जाकर देख सकते हैं हमारी सुन्दर हीरे जड़ित फोटो घर लटकी हैं,
आपको गर्व से कहेंगे कि, यह हमारे माँ और बाऊजी हैं,
आप तो समझेंगे कि यह बहुत बड़ा माँ बाप का सेवक हैं !
बात
कोई भी बात कम शब्दों में कहनी चाहिए,कम शब्दों में कही बात लोगों पर ज्यादा असर छोड़ती हैं !
आप जितने अधिक बोलेगें लोग आपको बड़बोला समझेंगे, आपके ज्यादा बोलने से आपकी बात के पीछे का सारा राज उजागर हो जाता है !
आपके ज्यादा बोलने से आपकी शक्ति का सामने वाला अंदाज लगा लेता हैं कि इसकी बात और इसमें कितना दम हैं!
दूसरी बात,
आप ज्यादा बोलकर अपनी ऊर्जा भी कम कर लेते हैं इसलिए कम शब्दो में काम की बात बोलें !
मेरे कहने का अर्थ यह नही कि, आप कठोर और तीक्ष्ण शब्दों का प्रयोग करें !
आप मधुर, सत्य और मुस्कराहट के साथ अपने शब्द कहें !
अजीब ज्ञान की बात जो पहली बार जान रहे हैं,.......
आज देवा जांगिड़ लेकर आया हैं कुछ अजीब बातें,
जो आपने पहले कभी ना सुनी और न पढ़ी होगी !
आपको पढ़कर बड़ा विचित्र लगेगा लेकिन, यह सत्य बात हैं !
आइये जानते हैं वो अनसुहे पहलु और देखते हैं कहाँ तक सही हैं !
1. हाथी को हर वस्तु दोगुनी बड़ी दिखाई देती हैं जैसे - छोटा बच्चा, एक आदमी जितना दिखता हैं !
2. हाथी के पैर में हड्डी नही होती हैं !
3. कछुए के दांत नही होते हैं !
4. सांप के कान नही होते हैं !
5. फ़्रांस में मच्छर नही होते हैं !
6. हमारे नाख़ून हमेशा 0.741 इंच बढ़ जाते हैं !
7. मानव शरीर में 206 हड्डियां होती हैं जो इस प्रकार हैं -
खोपड़ी में - 22,
कण्ठ में - 1,
दोनों हाथों में - 32, 32,
दोनों पैरों में - 31, 31,
धड़ में - 51,
दोनों कानों में - 3, 3,
8. जब आप झूठ बोलते हैं तब आपकी आँखे या तो ऊपर देखने लगती हैं या आपके बांयी ओर, आप उसके सामने नही देख सकते हैं !
ज्ञान समाप्त
सोमवार, जनवरी 09, 2017
गाँव - बाण्ड
रविवार, जनवरी 08, 2017
जीव के आठ मित्र
प्राणी के जीवन में आठ तरह के मित्र आते हैं, उनकी मित्रता से जीवन का समापन होता हैं !
जन्म के मित्र - माँ-बाप,
देह के मित्र - अन्न पान,
रोग के मित्र - औषधि,
आत्मा का मित्र - सत्य सद्गुण,
धर्म का मित्र - दया करुणा,
संग्राम का मित्र - भुजा का बल,
विदेश का मित्र - विद्या विनय,
अंत समय का मित्र - प्रसंशा, आलोचना,
💐💐💐💐💐
दूसरों की विशेषता देखते जाओगे तो, एक दिन विशेष आत्मा बन जाओगे !
💐💐💐💐💐
पारिवारिक कलह पांच स्तरों में होती हैं, मन, वाणी, हाथ, सड़क और न्यायालय तक चली जाती हैं !
💐💐💐💐💐
क्रोध बुद्धि का, घमण्ड ज्ञान का, लालच ईमान का और चिंता आयु का नाश कर देती हैं !
💐💐💐💐💐
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दुःख क्या होता है ?
आज के इस समय में कोई आदमी सुखी नही हैं हर एक को कोई न कोई बात का दुःख जरूर हैं, तो आइये जानते हैं,;-
दुःख क्या होता हैं ?
सुनना हैं इसलिए न सुनने का दुःख,
देखना हैं इसलिए न देखने का दुःख,
बल चाहते हैं इसलिए निर्बल होने का दुःख,
धन चाहते हैं इसलिए निर्धन का दुःख,
जवानी चाहते हैं इसलिए बुढ़ापे का दुःख,
जीना चाहते हैं इसलिए मौत का दुःख,
तात्पर्य यह हैं कि हम जिस वस्तु की इच्छा करते हैं और हमारी इच्छा अधूरी रह जाती हैं अर्थात पूरी न हो पाती हैं इसलिए दुःख होता हैं !
यदि धैर्य रखें कि हमें सुख मिलेगा, तो दुःख होगा ही नही !
किसी वस्तु के आभाव से ही दुःख उत्पन होता हैं !
देवा जांगिड़
शनिवार, जनवरी 07, 2017
माँ बाप की भक्ति (कविता)
मैं मुर्ख जिव पशु तुल्य, पूजा न जानू तेरी!
सुना हैं तेरा नाम, जो राम राम कहूँ घड़ी फेरी!!
धुप कोन लकड़ी को तोहे लगे सुगन्ध प्यारो!
कौन भोजन के आप रसिया, न जाने दुखियारों!!
काशी गया न बाप मोरा, दादा गया न द्वारिका!
न मैं रईस का बेटा हूँ, न अमीर बाप नारी का!!
भंगवा का भाव महंगा, झारी महंगा गंग नीर का!
कोन वन में जा भक्ति करूँ, न मिले कटोरा खीर का !!
जप तप मंत्र क्या हैं, यह मेरी समझ से परे!
राम आजा रे!ऐसे यह दास, तोहे पुकार करे!!
माँ बाप की शरण रज, सिर का मानु ताज!
ख़ुशी उनको हँसते देख, हो रही मुझे आज!!
और सुख ना जानता, विषय भोग विकार !
मात पिता हरी सम, इन्ही दिखायो संसार !!
माया साथ पल चार, नारी साथ जब तक जवान !
जन्मदाता भर जीवन के संगी,तो कोउ और भगवान!!
धरती बिन क्षण न बीते, जमीं से अधर !
सूर्य बिन कौन प्रकाश करे, करूँ इनकी कदर !!
जग जान भ्रात सरीख, गौ जानु मैया समान !
माँ बाप की करूँ नोकरी,यही मेरे भगवान !!
कहत हैं नोकर “देवा”, सेठ ओ मेरे मैया तात !
तुम पलक ना रूठियो, आप बिन जीया न जात !!
दया कर सर हाथ रखना, देवा के माँ बाप !
आप रूठता जग रूठे, मैं मरुँ करत विलाप !!
💐💐💐💐
-देवा जांगिड़
जिंदगी क्या हैं ? (कविता)
यह जीवन क्षण भंगुर मिटटी का खिलौना हैं,
पल हँसते2 मुँह समेटा नही , जो ना होना हैं,
वो होने की घड़ी आ बीती, अब शेष रोना हैं,
साथी हमारे रब को प्यारे हो गये,
हम स्वार्थी माया के जाल में खो गये,
दिन भर मन न माना, अब सूर्यास्त हो गये,
जीवन एक पतंग , दीपक यह माया हैं,
उजाला देख मत जा पास, तले में छाया हैं,
जाकर पास पंख जलाये, अब तू पछताया हैं,
जीवन एक चुनोती, माया इसकी वैरी हैं,
पाकर इसे मत बोल गर्व से, यह मेरी हैं,
यह कपटी चिड़िया उड़ जायेगी, न अब देरी हैं,
जीवन एक खेल हैं, अखाडा अखि संसार हैं,
डटकर खेल बावरे, तू अब तक गंवार हैं,
विपक्ष को कर पराजित, यदि होना पार हैं,
जीवन एक दुःख हैं, विपदाएं तोड़ जीना हैं,
कहीं बीमारी तो कहीं भूत प्रेत के पानी भीना हैं,
इस दुःख का टोना एक ही , राम रस पीना हैं,
जीवन एक गुत्थी हैं,हमको आज सुलझाना हैं,
अपने सर के बालों की तरह, इसको बनाना हैं,
मिला कुछ करने के लिए, जल्दी कर जाना हैं,
जीवन एक कर्तव्य हैं,शरीर इसका कर्ता हैं,
फल मोक्ष होता हैं, परन्तु जो जैसा करता हैं,
वैसा ही अपने नसीब के खाते में भरता हैं,
जीवन एक सुन्दर हैं, गुण सुंदरता होती हैं,
हरदम निहारिये जैसे कोई हीरा मोती हैं,
कमी का ध्यान रहे,सुन्दर की विलोम होती हैं,
जीवन एक अवसर हैं, समझ मनवा आज ही का हैं,
करले चाहें जो काम अभी, फिर अवसर ही कहाँ हैं,
निकल जाएं यह मौका हाथ से, पता भी तो ना हैं,
यह जीवन सफर, ज्यादा लंबा भी न हैं,
हम सोचते इतना सरल राह भी न हैं,
इस जंगली मार्ग में जीने का, विश्वास भी न हैं,
इस जीवन परीक्षा में, पास होना भी धर्म हैं,
हर बाधा रूपी सवालों का, जवाब देना भी कर्म हैं,
भले स्कुल छोड़ी हमने, परीक्षा छोड़ना तो भर्म हैं,
जीवन उस कृपालु का दिया हुआ उपहार हैं,
सहस स्वीकार करना मानव का अधिकार हैं,
नजराना साथ हैं दिया, जो तेरा परिवार हैं,
जीवन एक नैया, संसार सागर की गोद हैं,
उठा पतवार ना जाने, यहां कैसी होद हैं,
चल किनारे वहां ही तो, आमोद प्रमोद हैं,
जीवन एक प्रेम हैं, तन्मय होकर रहो,
आती हुई हर कड़वाहट को , दिल में सहो,
इस प्यारे जीवन में, कभी किसी से जुदा न हो,
जीवन के इस गीत को, हरदम गुनगुनाते रहना,
इन लंबी कड़ियों को तुम,दोहराते ही रहना,
“देवा” गाये यह गीत, सुनो भाई अर बहना,
देवा जांगिड़
हिन्दू धर्म की कुछ जानकारी
हिन्दू धर्म की कुछ रौचक जानकारी जो आपके काम आ सकती हैं !
हिन्दू धर्म में विवाह के आठ प्रकार होते हैं-
1 ब्राह्म
2 देव
3 आर्य
4 प्राजापत्य
5 आसुर
6 गान्धर्व
7 राक्षस
8 पैशाच
हमारे धर्म में चार वर्ण होते हैं, जिन्हें अब जातियों में बाँट दिया गया हैं!
1 ब्राह्मण, 2 वैश्य , 3 क्षत्रिय, 4 शुद्र
पाँच देव - 1 ब्रह्मा, 2 विष्णु, 3 महेश, 4 गणेश और 5 शक्ति !
तीन लोक - मृत्यु लोक, नरक लोक और स्वर्ग लोक !
बारह राशियां -
1 मेष,
2 वृषभ,
3 मिथुन,
4 कर्क,
5 सिंह,
6 कन्या,
7 तुला,
8 वृश्चिक,
9 धनु,
10 कुंभ,
11 मकर और
12 मीन !
वैद और पुराण Veda
हमारे हिन्दू धर्म में चार वेद होते हैं
यर्जु वेद
अर्थव वेद
ऋग्वेद
सामवेद
हमारे हिन्दू धर्म में अठारह पुराण होते हैं जो,
इस प्रकार हैं ;-
ब्रह्म पुराण
पदम पुराण
वैष्णव पुराण
शैव पुराण
भागवत पुराण
नारद पुराण
मारकंडे पुराण
आग्नेय पुराण
भविष्य पुराण
ब्रह्मवैवर्त पुराण
लिंग पुराण
वाराह पुराण
स्कन्द पुराण
वामन पुराण
कोर्म पुराण
मत्स्य पुराण
गुरु पुराण
ब्रह्माण्ड पुराण
भारत माँ के लाल जागो
शुक्रवार, जनवरी 06, 2017
एक यात्रा मेरे गाँव की
गुरुवार, जनवरी 05, 2017
जीव दया ( कविता)
आज तक कहीं आते जाते जिस बेसहारे असहाय,
लोगों को देखा उनकी शक्ल याद करो !
आपने ऐसा कौनसा काम किया जो उनके हित में था,
या होगा, गर्व तो बाद में करो !!
गरीब लंगड़े अंधे मंद बुद्धि और बदनसीब,
लोगों का दिल में हाल चाल जानें !
आपने जो कदम उठाया हैं वह उनके लिए
कितना उपयोगी होगा ? राम जानें!!
हम सब खुदा महर से सकुशल हैं कि,
किसी की मदद कर सके !
जिंदगी के उन दर्दनाक घावों में कुछ मददरूपी,
मल्हम पट्टी तो कर सके !!
अपने जीवन से हार कर मरने वालें लोगों को,
धीरज बंधा कर जिलाये !
भक्त हनुमान बनके किसी के भैया को ,
संजीवनी बूटी तो खिलाये !!
असहाय के सहायक बनकर उनके चेहरे पर,
मुस्कान तो लाएं!
खुश होकर वो आशिस हमको देंगे,
चलो वरदान तो पाएं!!
किसी मरते हुए का भगवन बनकर आ जाओ!
‘देवा’ ईश्वर मिलन का सरल पंथ आजमाओ !!
लंबा कहूँ क्या , समझने वाले को यह भी ज्यादा हैं!
रहे यदि जिंदे तो , करेंगे परहित, यह देवा का वादा हैं !!
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
हे जनसेवक ! तुम स्वार्थ की भावना न रखकर निसवार्थ मानव सेवा कर, अवश्य अमरता मिलेगी !
कुछ पाने के वास्ते कुछ खोना पड़ता हैं!
देवा जांगिड़
मेरे विचार
मेरे विचारों की पद्य लाइने
साधारण बालक तुल्य मैं भी, एक लड़का हूँ !
समाज की कुरीतिया मिटाने को , आज भड़का हूँ!!
मैं पक्षपाती नही जो, पक्षपात के लिए कुछ करता हैं !
न छोटा बच्चा हूँ, जो मिटटी से खेला करता हैं!!
न कोई संपादक हूँ , जो अख़बार लिखता हूँ !
और न ही कोई पंच हूँ, जो पैसों के बदले बिकता हैं!!
न प्रसिद लेखक हूँ और न ही सरकारी नोकर हूँ !
चोर डाकू भी नही हूँ, न ही सर्कल का जोकर हूँ !!
न मुर्ख नादान हूँ, न ही बड़ी अक्ल की दाद !
बड़े लोगों सुन लीजो, छोट बालक की फरियाद !!
पापी को छोड़ कर धर्मी के साथ जाता हूँ !
मेरे दिल के सपने आपको बताता हूँ !!
यह बच्चों का खेल नही, धर्म व पाप की लड़ाई हैं !
आगे जो लिखा वो मेरी न, सिर्फ ज्ञान की बड़ाई हैं!!
अब बालक देवा हरी के शरणों में लिखता हैं!
माफ़ करना भाइयों जो आपको गलत दिखता हैं !!
-देवा जांगिड़
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