शुक्रवार, दिसंबर 30, 2016

मेरा समाज

इस समय का युग युवा शक्ति का हैं ,
बदलती दुनिया के साथ हमें बदल ने की जरुरत हैं  हम बदलें तो समाज बदल सकते हैं !
हमारे समाज में कुछ पुरानी कुरीतियां भी हैं, जिन्हें हम ना चाहते हुए भी निभा रहे हैं, और हम उन कुरीतियों को अपनी इज्जत मान रहे हैं!
हम सोचते हैं --
यदि हमने यह रीती नही निभाई तो समाज में हमारी कोई इज्जत ना रहेगी !
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धन बर्बाद करके, मन के ना मानने पर भी, तन से पूरी कोशिश करके (तन-मन-धन से) लोग निभा रहे हैं क्योंकि डर हैं  समाज से !
मेरी बात कुछ महानुभवों  को नागवार गुजर सकती हैं पर यह सत्य हैं !
अब वो ऐसी कुरीतियां कौनसी हैं यह मेरे युवा साथी जान गये होंगे क्योंकि , हम भी उसी समाज से आते हैं !
कुछ लोग मेरी बात काटने की सोच रहे होंगे, लेकिन जो भविष्य में समाज को एक अच्छी राह देना चाहते हैं वो मेरी बात पर गौर करेंगे !
फिर भी हिम्मत नही जुटा पायेंगे !
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विनती;-
आपके पास ज्ञान विज्ञान इंटरनेट और अच्छे अच्छे प्लेटफॉर्म हैं आप कर सकते हैं  !
एक बार फिर याद दिला देना चाहता हूँ कि, आप देश की युवा पीढ़ी हैं !
जय युवा
देवा जांगिड़
सामाजिक विचारक

बुधवार, दिसंबर 14, 2016

मैं ऊपर वाला बोल रहा हूँ!

हे जीवात्मा !
मैं आपका (अल्लाह, राम, रहीम, खुदा, भगवान आदि) उपरवाला बोल रहा हूँ, जिसे ध्यान पूर्वक सुनो..!
आज मैं आपसे नाराज हुँ क्योंकि, आप एक दूसरे को मारने पर तुले हो.
तुमने मुझे अलग-अलग नामों, धर्मो, और तो और अलग- अलग स्थानो में भी बाँट दिया हैं.
कोई मुझसे किसी के मरने प्रार्थना करता हैं तो कोई किसी को मारने की.
मेरी कसम खाकर झूठ बोलते हो.
जब अपने गलत इरादों मे कामयाब नही होते हो तो मुझे दोसी बनाते हो.
खेर जो भी हो, अब सुनो…
में कौन और क्या हुँ ?
मेरा काम आपका ध्यान रखना हैं, रोकना नही.! आप क्या कर रहे हो क्या नही, आप गलत हो या सही,सब मुझे मालूम हैं !
आप जो मुझे ढूँढ रहे हो.(मक्का मदिना, हरिद्वार, आदि) वहाँ मैं नही हुँ,
आप जो मेरे लिये स्थान (मंदिर,मस्जिद,गुरुद्­वारा या चर्च)बनाते हैं, घर, गाँव, शहर मे, मैं उसमे नही रह सकता.क्योंकि वो मेरे नीचे के लोगों का घर हैं, जो मेरे करीब आना चाहते हैं.!
कुछ लोग स्वर्ग-नर्क जन्नत हुरें की बाते करते हैं वो उनके बताये तरिके से मैं नही देता, यह बात दिमाग में रख लेना.!
कुछ लोगों नें अपने जैसा दिखाने के लिये आपके शरीर के अन्गोँ में फेरबदल कर दिया, जो मुझे बर्दाशत नही,
कुछ लोग अपने आप को मेरा स्वरूप मानकर महिमा मंडित हो रहे हैं, भोले जीव का हनन कर रहे हैं, उनका चेहरा मुझे याद हैं .!
मैं आ गया हुँ, लेकिन आप जब मुझे देखने के योग्य हो जायेंगे. तब आपके सामने हाजिर हो जाऊँगा.! कई जीव मुझ तक पहुँच चुके हैं, जिन्हे लश्कर बनाना पसंद नही था.!
कुछ जीव मैं हुँ, यह बात मानते भी नही, वो उनसे भी साधारण जीव हैं जो मानकर भी नही समझ रहे हैं.!अत; वो सरल स्वभाव वाले मेरे अपने हैं !
आपको बहलाने वाले बहुत हैं, मेरे पास भेजने वाला कोई नही.!
मेरा नाम लेकर अपराध करने वाले भी बहुत हैं, लेकिन मेने उसको भी अधिकार की सीमा दी हैं.!
अपने से कमजोर का सहारा बनना छोड कर उसके उपर साहस दिखा रहे हैं अत्याचार कर रहे हैं उनका समय विपरीत हैं, पृथ्वी पर रेखा बनाकर दोनो तरफ से लड़ रहे हो. अपने पूर्वजो को जाते हुए देखा नही था ?

मैं कहाँ हुँ यह मत ढूँढो, मैं क्या चाहता हूँ यह सोच.!
तुम्हारे सोचने के विपरीत हो जाता हैं कभी कभी, क्योंकि मेरी मर्जी और हैं. मेरी मर्जी से करोगे तो तुम्हारी मर्जी में पूरी करूँगा.!
मैं कौन हुँ, यह मत सोच.!
मैं जो भी हुँ, जरूर हूँ, एक हूँ ,आदि हुँ, अंत हुँ और जब चारों तरफ से उदास होकर जिसे याद करते हो, वो मैं ही हुँ, कोई और नही.
और तुम जो अलग-अलग समुह बनाकर खोज रहे हो, उससे आप कहाँ तक पहुँचे यह तो आपको भी शांत मन से विचार करने पर पता चल जायेगा.!
मेरा रिस्ता आपके शरीर से तो उस दिन ही खत्म हो गया, जिस दिन आपको दे दिया, अब तो उसके अंदर रखी हुई वस्तु की परीक्षा करनी हैं, कि दोबारा कहाँ भेजुं.
यह शब्द मेरे हैं, मैं किससे लिखवा रहा हूँ, कब लिख रहा हुँ, जानने की कोशिश मत करना.
क्योंकि उसे खुद को मालूम नही.!
और आप मुझे फिर खोजने ना निकल जाना,
यदि आपको यकिन ना हो तो, एक शांत स्थान में बैठकर या खडे होकर भी, मेरे कहे शब्दो का स्मरण करना, जवाब मिल जायेगा.
और जवाब मिल जायें तो, वो ही करना जो मुझे अच्छा लगे..!
मैं वो ही दूँगा जो आपको अच्छा लगेगा..!

शनिवार, दिसंबर 10, 2016

जीवन क्या है। What is Life

मानव जन्म अनमोल हैं.!

सुनने मे आता हैं, देवता भी तरसते हैं मानव जन्म पाने के लिये, लेकिन मानव जन्म पा सुका जीव क्यों जानवर बन रहा हैं ?

कोई अपराध का रास्ता चुन लेता हैं तो कोई अमीरी का, कोई चोरी का तो कोई जारी (दुस्कर्म) का, कोई आलस मे हैं तो कोई उदास हैं और कोई डर रहा हैं तो कोई डरा रहा हैं..!

आखिर क्या चाहता हैं मानव ?

अरे जब अनमोल जीवन पा लिया तो कुछ अच्छा कर्म तो कर लो..!

श्मशान के रास्ता खाली हाथ जाना हैं

माया परिवार दौलत सब पराई हो जायेगी, कुछ नाम तो कमा लो, प्रख्यात होना हैं तुमको कुख्यात नही.!

हमेशा जिन्दा रहने वाले को अमर नही कहते हैं, जोलोगों के दिलों मे जगह बनाकर चला जाता हैं उसे अमर कहते हैं.!

कुछ लोग तो बाबा के पास जाकर बोलते हैं बाबा मुझे अमर मंत्र दे दो. बाबा खुद श्मशान से दो कदम ही दूर बैठा हैं. वो क्या अमरता देगा रे भाई.!

हे मानव ! तुम हंसों दूसरो को हँसाओ, यही जीवन का सबसे बडा मंत्र हैं, यही अमर मंत्र हैं.!

जरा दुबारा समझ लो, इसके सिवाय और कोई जीवन मंत्र नही हैं.!

खुद हँसो औरों को हँसाओ.!

मेरा अर्थ किसी को गुदगुदी करके हँसाना नही हैं. वो क्यों नही हँस रहा हैं? दुख किस बात का हैं?

उसका निवारण करने मे मदद करों. फिर हँसे तो आपका हँसाना सही हैं.!

शुक्रवार, दिसंबर 09, 2016

दान

आजकल दान करने की होड़ लगी हैं दुनिया मे,

कोई गुप्त दान कर रहा हैं, गौदान, धर्मशाला, मंदिर मस्जिद गुरुद्वरा, आदि जगह.!

कोई बडे अक्षरो में अपना नाम लिखवाता हैं, कोई जमीन दान करके अपना नाम से स्कूल बनवाता हैं, सब अपना अपना स्वार्थ बनाने मे लगे हैं.

दान का महत्व क्या हैं ?

आज हम बताते हैं,...

कोई असहाय मानव पक्षी या जानवर भूखा हैं तो उसे खाने को कुछ दो, कोई मानव जरुरत मंद वस्तु नही खरिद सकता हैं तो उसकी मदद करो, कोई गरीब बीमारी का इलाज नही करा सकता तो उसे सहायता दो. कोई बुजर्ग घर से निकाल दिया गया हैं तो उसका ख्याल करो.

जेब मेसे दस बीस रुपये निकाल कर किसी भिखारी को देने से या लाखों करोडो का चेक कोई संस्था मे भेंट करना ही दान नही हैं.!

मेरे कहने का सीधा अर्थ हैं कि, अपने खुद के हाथ की गयी सेवा सर्वोतम दान हैं और ऐसा करते समय आने वाले आनंद की कोई सीमा नही होती मेरे भाइयों…

नोट तो कल नकली हो जायेंगे पर आपकी की हुई सेवा का दान सदा रहेगा…!

गुरुवार, दिसंबर 08, 2016

सत भक्त कौन हैं ?

दुनिया मे नाना प्रकार के भक्त होते है..!
कोई रंगीन कपड़ो मे, कोई नंगे बदन मे, कोई गुफा मे तो कोई पर्वत पर, कोई उपवास मे तो कोई मासाहार से, कोई मंदिर तो कोई श्मशान मे आदि..!
लेकिन वो पूर्ण भक्त नही हैं,
भगवान हर पल हमारे साथ है ये मान के चले तो हम जहाँ है जैसी स्तिथि मे हैं वहीं से भक्ति कर सकते हैं.!
यदि भगवान स्वर्ग मे हैं तो,
हम धरती पर क्यों खोज रहे हैं. और वहाँ जाने के लिये तो कफन पहनना होता हैं, हम रंगीले वेशभुषा मे केसे मिल सकते. नंगे बदन भक्ति करने से कोनसा त्याग हुआ जब हम स्वादिष्ट आहार लेते हैं. लोगो के घरों मे जाते हैं उनसे सेवा करवाते है.फूलों का आसन लगाते है तकिया दरी.
बताओ त्याग क्या किया ?
कान मे छेद करके कुंडल पहनना, लंबे बाल, हाथ मे अजीब वस्तुए, ललाट पर रंग करना, मुँछ काटना दाढी बढाना. आदि
ये भक्त के लक्षण नही हैं.
भक्त की परिभाषा सिर्फ ये हैं कि,
‘भगवान मेरे हैं और मैं जैसा हुँ, भगवान का हुँ, भगवान जैसा रखना चाहे, वो ही मेरा जीवन हैं. भक्ति हैं. किसी का बुरा ना हो जाये मेरी वजह से’
इसके अलावा बाकी सब नाटक और दिखावा ही हैं.!

नफ़रत

नफरत…

अनजाने मे कुछ लोग किसी अच्छे आदमी से रूठ जाते हैं, और उसके जीने के तरिके (ढंग) की कमिया निकालते रहते हैं.

मेरा मानना हैं कि जिनसे नफ़रत हो जाती हैं, उसकी हर बात मे नफ़रत ना करें, हमको उसकी जिस बात से नाराजगी हैं  वो ही हमारी  नफ़रत हैं, लेकिन जो उसमे खुबी हैं  उसकी तो हमे  तारीफ़ करनी चाहिये.!

ज्यादा नफ़रत हमारे अपने ही रास्ते मे रोडा बन जाती हैं.!

आइये नफ़रत की आग से कुछ अलग खुशहाल पल जीने का प्रयास करते हैं !

देवा जाँगिड़ के साथ…...

भगवान कहां हैं (God in Universal)

लोग ना जाने मुझे कहाँ कहाँ ढूँढते हैं, पर मैं नही मिलता हूँ, जहाँ मैं मिलता हूँ उसी जगह से लोग मुझे ढूँढने का सफ़र चालू करते हैं... और वो हर दिन हर कदम मुझसे दूर होते चले जा रहे हैं.!

विशिष्ट पोस्ट

संत रामानंद जी महाराज के शिष्य

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