हमारे समाज की इस कमजोरी को जड़ से उखाड़ फैंकना हैं आप हमारी मदद करें
लोग कम खर्च के लालच में अपनी बेटियों की जिंदगी से सुख सीन लेते हैं लेकिन जब उनकी बेटी या बेटे पर परिवार का बोझ आता हैं तब वो अपने माता पिता को दोषी ठहराते हैं, क्या आप अपने ही बच्चों की बर्बादी करना चाहते हैं यदि नही तो आज से ही पर्ण लें कि,
हम किसी को न बाल विवाह करने देंगे और न ही हम बाल विवाह करेंगे
आप मेरा यह संदेश और लोगों तक पहुंचाये और उन्हें इस बुराई से अवगत करावे में आपका आभार मानता हूँ
कभी कभी तो यह भी देखने में आता है कि कम उम्र में बाल विवाह कर दिया जाता है और बाद में जाकर लड़का उच्च शिक्षा प्राप्त कर लेता है और
फिर वह बड़ा होकर बचपन किये गए विवाह को ठुकरा देता है और अपनी पत्नी से तलाक ले लेता है । क्योंकि विवाह के पश्चात् माँ - बाप कन्या को शिक्षा से वंचित कर देते है और उस कन्या के लिए जीवन नर्क के समान हो जाता है । जो भी हो इस कुप्रथा का अंत होना बहुत जरूरी है । वैसे हमारे देश में
बालविवाह रोकने के लिए कानून मौजूद है । लेकिन कानून के सहारे इसे रोका नहीं जा सकता । बालविवाह एक सामाजिक समस्या है । अत:इसका निदान सामाजिक जागरूकता से ही सम्भव है । सो समाज को आगे आना होगा तथा बालिका शिक्षा को और बढ़ावा देना होगा । आज युवा वर्ग को आगे आकर इसके विरूद्ध आवाज उठानी होगी और अपने परिवार व समाज के लोगों को इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए जागरूक करना होगा ।
जिस उम्र में बच्चे खेलने - कूदते है अगर उस उमर में उनका विवाह करा दिया जाये तो उनका जीवन खराब हो जाता है ! तमाम प्रयासों के बाबजूद हमारे देश में बाल विवाह जैसी कुप्रथा का अंत नही हो पा रहा है । बालविवाह एक अपराध है, इसकी रोकथाम के लिए समाज के प्रत्येक
वर्ग को आगे आना चाहिए । लोगों को जागरूक होकर इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए । बाल विवाह का सबसे बड़ा कारण लिंगभेद और अशिक्षा है साथ ही लड़कियों को कम रुतबा दिया जाना एवं उन्हें आर्थिक बोझ समझना । क्या इसके पीछे आज भी अज्ञानता ही जिमेदार है या फिर धार्मिक, सामाजिक मान्यताएँ और रीति-रिवाज ही इसका मुख्य कारण है, कारण चाहे कोई भी हो
खामियाजा तो बच्चों को ही भुगतना पड़ता है ! राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और प. बंगाल में सबसे ख़राब स्थिति है ।
बाल विवाह निषेध अधिकारी द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार आयोजकों एवं बाल विवाह में भाग लेने वाले व्यहक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के तहत् जुर्माना एवं सजा हेतु कार्यवाही की जाती है। जो 1.00 लाख रूपये जुर्माना अथवा 2 वर्ष का कठोर कारावास अथवा दोनो दिये जाने का प्रावधान है। अक्षय तृतीया पर अबूझ सावा होने के कारण बाल विवाह अधिक होने की संभावनाओं के मद्देनजर माह मार्च व अप्रेल में इस दिशा में विशेष प्रयास किय जाते है।
इस अबूझ सावे के अवसर पर अधिनियम 2006 के तहत् जिला कलेक्ट र को जिले के बाल विवाहों को रोकने के लिए निषेध अधिकारी की शक्तियां प्रदान की गई है।
लोग कम खर्च के लालच में अपनी बेटियों की जिंदगी से सुख सीन लेते हैं लेकिन जब उनकी बेटी या बेटे पर परिवार का बोझ आता हैं तब वो अपने माता पिता को दोषी ठहराते हैं, क्या आप अपने ही बच्चों की बर्बादी करना चाहते हैं यदि नही तो आज से ही पर्ण लें कि,
हम किसी को न बाल विवाह करने देंगे और न ही हम बाल विवाह करेंगे
आप मेरा यह संदेश और लोगों तक पहुंचाये और उन्हें इस बुराई से अवगत करावे में आपका आभार मानता हूँ
कभी कभी तो यह भी देखने में आता है कि कम उम्र में बाल विवाह कर दिया जाता है और बाद में जाकर लड़का उच्च शिक्षा प्राप्त कर लेता है और
फिर वह बड़ा होकर बचपन किये गए विवाह को ठुकरा देता है और अपनी पत्नी से तलाक ले लेता है । क्योंकि विवाह के पश्चात् माँ - बाप कन्या को शिक्षा से वंचित कर देते है और उस कन्या के लिए जीवन नर्क के समान हो जाता है । जो भी हो इस कुप्रथा का अंत होना बहुत जरूरी है । वैसे हमारे देश में
बालविवाह रोकने के लिए कानून मौजूद है । लेकिन कानून के सहारे इसे रोका नहीं जा सकता । बालविवाह एक सामाजिक समस्या है । अत:इसका निदान सामाजिक जागरूकता से ही सम्भव है । सो समाज को आगे आना होगा तथा बालिका शिक्षा को और बढ़ावा देना होगा । आज युवा वर्ग को आगे आकर इसके विरूद्ध आवाज उठानी होगी और अपने परिवार व समाज के लोगों को इस कुप्रथा को खत्म करने के लिए जागरूक करना होगा ।
जिस उम्र में बच्चे खेलने - कूदते है अगर उस उमर में उनका विवाह करा दिया जाये तो उनका जीवन खराब हो जाता है ! तमाम प्रयासों के बाबजूद हमारे देश में बाल विवाह जैसी कुप्रथा का अंत नही हो पा रहा है । बालविवाह एक अपराध है, इसकी रोकथाम के लिए समाज के प्रत्येक
वर्ग को आगे आना चाहिए । लोगों को जागरूक होकर इस सामाजिक बुराई को समाप्त करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए । बाल विवाह का सबसे बड़ा कारण लिंगभेद और अशिक्षा है साथ ही लड़कियों को कम रुतबा दिया जाना एवं उन्हें आर्थिक बोझ समझना । क्या इसके पीछे आज भी अज्ञानता ही जिमेदार है या फिर धार्मिक, सामाजिक मान्यताएँ और रीति-रिवाज ही इसका मुख्य कारण है, कारण चाहे कोई भी हो
खामियाजा तो बच्चों को ही भुगतना पड़ता है ! राजस्थान, बिहार, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और प. बंगाल में सबसे ख़राब स्थिति है ।
बाल विवाह निषेध अधिकारी द्वारा बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अनुसार आयोजकों एवं बाल विवाह में भाग लेने वाले व्यहक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही के तहत् जुर्माना एवं सजा हेतु कार्यवाही की जाती है। जो 1.00 लाख रूपये जुर्माना अथवा 2 वर्ष का कठोर कारावास अथवा दोनो दिये जाने का प्रावधान है। अक्षय तृतीया पर अबूझ सावा होने के कारण बाल विवाह अधिक होने की संभावनाओं के मद्देनजर माह मार्च व अप्रेल में इस दिशा में विशेष प्रयास किय जाते है।
इस अबूझ सावे के अवसर पर अधिनियम 2006 के तहत् जिला कलेक्ट र को जिले के बाल विवाहों को रोकने के लिए निषेध अधिकारी की शक्तियां प्रदान की गई है।
मुझे अच्छे सुझाव देने के लिये आप अपनी प्रतिक्रिया जरूर भेजें
जवाब देंहटाएंDear, I'm fully agreed with your thinking but it isn't possible until we don't stand against our parents, against society's evils.
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